पंजाब: बाबा बोहड़ की विरासत, Punjab: The Legacy Of The Banyan Tree

May 4, 2023 Chander Mohan 0

परकाश (प्रकाश नहीं) सिंह बादल के निधन में  पंजाब ने अपनी सबसे शानदार शख्सियत खो दी है। लगभग 60 साल सरदार बादल हमारी राजनीति के केन्द्र रहे।   वह पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने  और उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को सशक्त राजनीतिक शक्ति बना दिया। उनके बारे यह भी कहा जा रहा है कि वह अकाली दल के पतन का कारण भी बने। लेकिन यह बाद में। उन्हें सदा  इस बात के लिए याद किया जाएगा कि  वह 1980 के संकट ग्रस्त और बुरी तरह से घायल और साम्प्रदायिक तौर पर विभाजित पंजाब को उस खूनी चक्रव्यूह से निकालने  में सफल रहे।  उस समय के पंजाब को ऐसा नेता चाहिए था जो उदार हो और जिसका विशाल हृदय हो और […]

भाजपा की अकाली-दुविधा (BJP and Akalis)

January 30, 2020 Chander Mohan 0

जिसे कभी प्रकाश सिंह बादल ने नाखुन तथा मास का रिश्ता कहा था, वह अलग होता नज़र आ रहा है। शिरोमणि अकाली दल ने घोषणा की है कि वह दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। असलियत यह है कि दोनों अकाली दल तथा भाजपा में मतभेद इतने बढ़ चुके हैं कि दोनों अब इक्ट्ठे नहीं चल सकते इसलिए भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे से कतराते हुए अकाली दल ने फिलहाल दिल्ली विधानसभा से ही किनारा कर लिया है। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों दलों के बीच तलखी नज़र आई थी और अब दिल्ली, जहां सिखों की अच्छी-खासी जनसंख्या है, के विधानसभा चुनाव से अकाली दल बाहर हो गया है। यह अकाली दल की कमज़ोरी भी दर्शाता […]

पंजाब क्यों अपवाद रहा (Why was Punjab an Exception)

June 20, 2019 Chander Mohan 0

उत्तर, पूर्व और पश्चिम में विजयी नरेन्द्र मोदी का बेड़ा पंजाब में आकर रुक गया। पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस 8 जीतने में सफल रही जबकि अकाली-भाजपा को 4 सीटें तथा आप भगवंत मान की एकमात्र सीट पर सफल रही। आंकड़े सारी कहानी कहते हैं। मोदी लहर के बीच भी पंजाब में कांग्रेस का मत प्रतिशत 1.62 प्रतिशत बढ़ गया। 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 33.19 प्रतिशत वोट मिला था। 2017 के विधानसभा चुनाव में 38.50 प्रतिशत और इस बार 40.12 प्रतिशत चाहे इस बार शहरी हिन्दू का झुकाव भाजपा की तरफ अधिक था और दोआबा का दलित बसपा की तरफ झुक गया था। अगर पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो कांग्रेस को लगभग 7 […]