वक़्त वक़्त की बात है
वक्त वक्त की बात है! किसे याद है कि कभी नीतीश कुमार भी अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे? उस वक्त उनकी छवि एक विकास पुरुष की थी लेकिन एक के बाद एक गलत कदम उठाने के बाद उनकी हालत तो न घर के रहे न घाट वाली बनती जा रही है। वक्त का पहिया इतना उलटा चला कि जिस व्यक्ति को मनाने के लिए भाजपा ने बहुत प्रयास किया था और जिसे अपने खेमे में लाने के लिए कांग्रेस बहुत उतावली थी वह राजनीति में एक प्रकार से दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है और खुद स्वीकार कर रहा है कि ‘वक्त वक्त की बात है!’ नीतीश कुमार का पतन उस वक्त शुरू हो गया था जब अनावश्यक […]