भगवंत मान को मौक़ा मिलना चाहिए, Bhagwant Mann Needs More Time

June 2, 2022 Chander Mohan 0

अपनी माँगो को लेकर एक बार फिर मोर्चा लगाने की तैयारी में कुछ किसान संगठनों से मुख्यमंत्री भगवंत मान ने  पूछा  कि ‘बताएँ की मैं ग़लत क्या कर रहा हूँ’? दुख भरी आवाज़ में सीएम का कहना था कि ‘मैं धरती को बचाने का प्रयास कर रहा हूँ। कम से कम एक साल मेरा साथ दें’। धान रोपाई की तारीख़ बदलने और गेहूं के सिंकुड़े दाने को लेकर किसानों का एक वर्ग चंडीगढ़ के बाहर दिल्ली जैसा मोर्चा लगाने की तैयारी कर रहा था।  मामला टल गया पर मान ने स्पष्ट कर दिया कि वह पंजाब के पानी को बचाने की लड़ाई लड़ करें हैं। यह हकीकत है कि पंजाब में गिरता भूजल बहुत गम्भीर समस्या है। एक प्रकार से […]

नियंत्रण से बाहर होता किसान आन्दोलन, Kisan Agitation Goes Out of Control

January 28, 2021 Chander Mohan 0

गणतन्त्र दिवस पर दिलली की घटनाएँ बहुत विचलित करने वाली हैं। जो किसान आन्दोलन अपनी शान्ति और व्यवस्था के लिए दुनिया के लिए मिसाल था, अचानक नियंत्रण से बाहर हो गया। न केवल बैरिकेड तोड़े गए बल्कि अनुशासन  में रहने के वादे भी तोड़ दिए गए। जिन मार्ग पर जाने का वादा किया था उन्हें छोड़ते हुए दिलली में घुस गए। आन्दोलन पर किसी का नियंत्रण नही रहा। संयुक्त किसान मोर्चे के नेता जो रोज़ टीवी पर नज़र आते थे, ग़ायब हो गए क्योंकि  कोई उनकी सुन नही रहा था। लेकिन ज़िम्मेवारी तो उनकी बनती है। जब ट्रैक्टर मार्च के लिए हज़ारों किसानों को राजधानी में इकट्ठा किया  गया तो यह सम्भावना तो सदैव थी कि कुछ नियंत्रण से बाहर […]

विनाश काले विपरीत बुद्धि Madness in Bengal

December 17, 2020 Chander Mohan 0

यूनानी नाटककार युरीपाइडिस जो ट्रैजिडी लिखते थे ने लिखा है, ‘जिन्हें देवता नष्ट करना चाहें उन्हें वह पहले पागल बना देते हैं’। अपनी देसी भाषा में हम इसे ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ भी कह सकतें हैं। जिस तरह उनके पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के क़ाफ़िले पर हमला किया गया,उसे करवाने वालों की मति भ्रष्ट होने के सिवाय और क्या कहा जाएगा? पत्थरों और ईंटों से उनके क़ाफ़िले पर हमला किया गया और पुलिस मूक दर्शक बनी रही। मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी की प्रतिक्रिया कि यह सब नौटंकी है, बताती है कि राजनीतिक हिंसा को वह कितना हल्का लेती हैं। यह बहुत कड़वा और दुर्भाग्य पूर्ण सत्य है कि राजनीतिक हिंसा बंगाल की राजनीति का हिस्सा […]

जो खामोश रहे तब (Those Who Remained Silent Then)

June 21, 2018 Chander Mohan 0

हिटलर तथा उसके नाज़ियों के अत्याचार तथा उसके सामने जर्मन बुद्धिजीवियों के कायर समर्पण के बारे जर्मन पादरी मार्टिन नीमओलर ने बाद में लिखा था, पहले वह सोशलिस्ट के लिए आए, मैं नहीं बोला क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं था। फिर वह ट्रेड यूनीयनिस्ट के लिए आए पर मैं नहीं बोला क्योंकि मैं ट्रेड यूनियनिस्ट नहीं था। फिर वह यहूदियों के लिए आए और मैं नहीं बोला क्योंकि मैं यहूदी नहीं था। फिर वह मेरे लिए आए, पर मेरे लिए बोलने वाला कोई नहीं बचा था। यह पंक्तियां एक सूझवान जर्मन की हताशा व्यक्त करती है कि अगर शुरू में हिटलर को रोका जाता तो इतना विनाश न होता और न ही जर्मनी तबाह होता। लेकिन उस वक्त जिसे अब्राहिम लिंकन […]

इन हवाओं को रोकिए (Stop this poisonous air)

November 30, 2017 Chander Mohan 0

जैसे आशंका थी फिल्म पद्मावती से उत्पन्न विवाद ने पहली बलि ले ली। जयपुर के नज़दीक नाहरगढ़ किले के बाहर लटका हुआ शव मिला है जिसके पास एक पत्थर पर लिखा हुआ था कि  “हम सिर्फ पुतले ही नहीं लटकाते।“ जहां इतनी उकसाहट हो वहां कुछ भी हो सकता है। जो मामला संजय लीला भंसाली तथा दीपिका पादुकोण का गला काटने या नाक काटने से शुरू हुआ था वह नियंत्रण से बाहर हो रहा है। इधर-उधर गला-हाथ काटने की आम धमकियां दी जा रही हैं। राबड़ी देवी ने तो यहां तक कह दिया कि बिहार में लोग प्रधानमंत्री मोदी के हाथ काटने के लिए तैयार बैठे हैं। उनकी यह प्रतिक्रिया बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय के इस कथन का जवाब […]