जब दोस्तियाँ दूरियों में बदल गईं (When Distance Became Security)
फ़िल्म ‘मौसम’ का संजीव कुमार और शर्मीला टैगोर पर फ़िल्माया गुलज़ार द्वारा लिखित ख़ूबसूरत गाना है, ‘दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन’। हर आदमी चाहता है कि उसके पास कुछ अतिरिक्त समय हो जिसका जैसे वह चाहे इस्तेमाल कर सके पर जब लॉकडाउन के कारण छप्पड़ फाड़ कर फ़ुर्सत के दिन ज़बरदस्ती मिले तो मानवता विचलित हो उठी। दोस्तियां दूरियों में बदल गईं। इंसान इंसान से ख़तरा महसूस करने लगा। जो अजनबी है वह चुनौती बन गया। दुकानें बंद,सड़के वीरान, पार्क सुनसान हो गए। कर्फ़्यू के कारण एक समय चारो तरफ़ सन्नाटा था।मरीज़ों के या मृतकों के आँकड़े ज़रा सा बढ़तें तो अखबारेंचिल्ला उठती,‘हड़कम्प मच गया’, ‘भूचाल आ गया’। कई टीवी चैनल अपनी जगह दहशत बढ़ाने में […]