हंगामें हैं, हंगामों का क्या

July 4, 2013 Chander Mohan 0

हंगामें हैं, हंगामों का क्या रविवार को कांग्रेस ने दिल्ली की रामलीला ग्राऊंड में विशाल रैली कर एक बार फिर अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दे दिया। सबसे अधिक लोग हरियाणा से थे इसीलिए कार की छत्त पर बैठे भुपिन्द्र सिंह हुड्डा बहुत आश्वस्त और प्रसन्न नजर आ रहे थे। पर इस महारैली के चित्र देख कर और त्रिमूर्ति के भाषण सुन कर मेरा तो यही कहना है, यह जश्न, यह हंगामें, दिलचस्प खिलौने हैं कुछ लोगों की कोशिश है कुछ लोग बहल जाएं! यह सही है कि यह सरकार मनरेगा और सूचना के अधिकार जैसी क्रांतिकारी योजनाएं ले कर आई थी पर यह पिछली मनमोहन सिंह सरकार का योगदान था। वर्तमान सरकार की कारगुजारी तो पूरी तरह से नकारात्मक […]

साख बचानी है या अध्यक्ष?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

साख बचानी है या अध्यक्ष? सलमान खुर्शीद को नया विदेश मंत्री बना दिया गया। मंत्रिमंडल में फेरबदल का यह सबसे बड़ा संदेश है कि आदमी कैसा भी हो, कैसी भी गल्तियां करें जब तक वह कांग्रेस के प्रथम परिवार के लिए मरने को तैयार है सब कुछ माफ है। सलमान खुर्शीद तथा उनकी पत्नी द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ में भारी घपले की जानकारी सार्वजनिक हो चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद उनकी पदोन्नति बताती है कि कांग्रेस के हाईकमान को लोकलाज की चिंता नहीं है। केजरीवाल तथा कंपनी को भी बता दिया गया कि आप ने जो बोलना है बोलते रहो, हमारी सेहत पर कोई असर नहीं है। कांग्रेस के प्रथम परिवार के प्रति वफादारी ही सब कुछ है। विपक्ष […]

एक ही सिक्के के दो पहलू?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

एक ही सिक्के के दो पहलू? यह वह देश है जहां कभी एक रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस्तीफा दिया था पर आज दबंग सब कहते हैं, ‘मैं क्यों इस्तीफा दूं?’ ऐसे -ऐसे घोटाले हुए हैं कि सर चकरा जाता है पर किसी की अंतरात्मा नहीं जागती कि वे भी नैतिक जिम्मेवारी लेकर इस्तीफा दे दें। उलटा केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री के लिए 71 लाख रुपए तो मामूली रकम है, 71 करोड़ रुपए होते तो गंभीर मसला होता। इससे उत्तर प्रदेश के मंत्री शिवपाल सिंह यादव का कथन याद आ गया कि सरकारी कर्मचारी अगर छोटा पैसा हजम करते हैं तो कोई बात नहीं, उन्हें मोटी रकम […]

जो बेरोजगारी बढ़ाए वह ‘रिफॉर्म’ कैसा?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

जो बेरोजगारी बढ़ाए वह ‘रिफॉर्म’ कैसा? मैं अर्थ शास्त्री नहीं हूं। विशेषज्ञ भी नहीं हूं। अर्थ व्यवस्था को किस तरह सही करना है और विकास की दर कैसे बढ़ानी है इसका कोई कारगर सुझाव मेरे पास नहीं है। लेकिन हां, भाषा का कुछ ज्ञान है इसलिए जिस लापरवाही से हमारे देश में ‘रिफॉर्म’ शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे देख कर हैरानी होती है। ‘रिफॉर्म’ का हिन्दी अनुवाद ‘सुधार’ है। ‘इकनौमिक रिफॉर्म’ का अर्थ आर्थिक सुधार। पर यहां पश्चिम से जो भी आए उसे ‘रिफॉर्म’ कहा जाता है, चाहे इससे लोगों की हालत सुधरने की जगह कितनी ही और बिगड़ जाए। नवीनतम मिसाल एफडीआई को लेकर है। खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बहुत बड़ा ‘आर्थिक सुधार’ […]

पंजाब के लिए ‘वेक अप कॉल’

July 4, 2013 Chander Mohan 0

पंजाब के लिए ‘वेक अप कॉल’ यह राहत की बात है कि लै. जनरल (सेवानिवृत्त) कुलदीप सिंह बराड़ लंदन में हुए कातिलाना हमले में बच गए हैं। विदेशमंत्री एस.एम. कृष्णा का कहना है कि जनरल बराड़ ने भारतीय हाईकमिशन को सूचित नहीं किया था और किसी को मालूम नहीं था कि वे लंदन में हैं। यह बात सही नहीं कि ‘किसी को मालूम नहीं था’, क्योंकि खालिस्तानियों को तो मालूम था, और वह जनरल साहिब की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। अब अवश्य समाचार है कि लंदन पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। आशा है कि वह इस साजिश की गहराई तक जाएंगे क्योंकि हमारी शिकायत है कि कई देश ऐसे लोगों के प्रति उदार रहते […]

पैर के नीचे बटेर!

July 4, 2013 Chander Mohan 0

पैर के नीचे बटेर! संविधान में संशोधन कर नितिन गडकरी को दूसरी बार भाजपा का अध्यक्ष बनाने का रास्ता साफ कर दिया गया है। जहां इसका मतलब है कि चुनाव के समय वे ही भाजपा के अध्यक्ष होंगे वहां इसका यह भी मतलब है कि उन्हें वह सम्मान दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी तथा लाल कृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नेताओं को भी नहीं दिया गया था। लेकिन अभी तक गडकरी अपनी पार्टी को भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार या चुस्त दुरुस्त नहीं कर सके। अर्थात् उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाने का औचित्य क्या है, यह अभी तक समझ नहीं आया। उनका राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जरूर कहना था कि ‘सत्ता हाथ में आने वाली है,’ पर अगर ऐसी […]