Suvidhajanak Unteratma
सुविधाजनक अंतरात्मा देश के बुद्धिजीवियों तथा साहित्यकारों द्वारा इस्तीफों का सिलसिला जारी है। एक भेड़चाल शुरू हो गई है। बहुत लोगों की अंतरात्मा जाग उठी है। उनकी शिकायत है कि देश के अंदर असहिष्णुता बढ़ रही है। बुद्धिजीवी तथा साहित्यकार होने के नाते उनसे और बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है इसलिए विरोध जताने के लिए वह अपना इस्तीफा दे रहे हैं। एमएम कालबुर्गी जैसे तर्कवादी लेखक की हत्या निंदनीय है। हमारी विभिन्नता ही हमारी ताकत है। भारत का अभिप्राय ही यह है। सवाल उठने चाहिए। अगर किसी का तर्क पसंद न हो तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसकी हत्या कर रास्ते से हटा दिया जाए। दादरी की घटना और भी भयानक है जहां 100 लोगों की भीड़ ने […]