खास और आम
खास और आम दिल्ली के चुनाव में जनता ने जो पैगाम दिया है उसे समझने का प्रयास हमारे लीडर नहीं कर रहे। मसला केवल साफ राजनीति या लोकपाल का ही नहीं है। जनता उस सरकारी संस्कृति का भी विरोध कर रही है जो हमें दो डिब्बों में बांट देती है, खास और आम। इसलिए अब जो आम है वह झाड़ू लेकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं। चुनाव के समय जो जनता के आगे हाथ जोड़ कर वोट मांगते हैं वे चुनाव जीतते ही हमारे सर पर बैठ जाते हैं। लाल बत्ती वाली कारें, प्रदूषण बढ़ाते ऊंचे ध्वनि वाले सायरन तथा गनमैन उन्हें आम आदमी से अलग कर देते हैं। जब उन्होंने गुज़रना होता है तो एम्बूलैंस तक को भी […]