लंगर का वरदान, The Blessings of Langar

February 11, 2021 Chander Mohan 0

सन् 1569 की बात है। दिल्ली से लाहौर जाते समय बादशाह अकबर गोईंदवाल साहिब तीसरे सिख गुरू अमर दास जी से मिलने पहुँचे। उन्होंने गुरूजी की बहुत ख्याति सुनी थी इसलिए उन्हें मिलने के लिए गोईंदवाल साहिब रूक गए। अकबर को दूसरे धर्मों के बारे बहुत दिलचस्पी थी इसलिए गुरू अमर दास के साथ वह वार्तालाप चाहते थे। उनके साथ राजा हरिपुर भी थे। लेकिन वार्तालाप से पहले गुरूजी ने बादशाह और राजा को लंगर में पंगत में  बैठा दिया जहाँ सबको जाति, धर्म, स्तर या वर्ग की भिन्नता के बिना एक साथ सादा भोजन करवाया जाता था। बादशाह भी तैयार हो गए और शायद पहली बार उन्होंने आम लोगों के साथ बैठ कर भोजन किया था। अकबर लंगर की […]