महानायक, यह जुम्मा-चुम्मा की उम्र नहीं है
महानायक, यह जुम्मा-चुम्मा की उम्र नहीं है हमारे संविधान निर्माता अभिव्यक्ति की आजादी पर ‘जायज पाबंदी’ के पक्ष में थे पर हमारा मनोरंजन उद्योग, सिनेमा, टीवी और मीडिया का एक वर्ग, समझता है कि वह कुछ भी दिखा सकते हैं, उन्हें पूर्ण आजादी है। उदाहरण पश्चिमी देशों का प्रस्तुत किया जाता है लेकिन वे भूलते हैं कि उनके समाज तथा हमारे समाज में बहुत अंतर है। हमारा समाज कई मामलों में उनसे अधिक परिपक्व है लेकिन कई मामलों में अभी भी मध्यकालीन युग की बर्बरता है, जैसा दिल्ली में हुए गैंगरेप से मालूम होता है। वहां ऐसे गैंगरेप नहीं होते। आजकल देश के चारों तरफ से बलात्कार के समाचार मिल रहे हैं। छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार के समाचार मिले […]