भाषा जोड़ती है, तोड़ती नही, Language Is A Facilitator Not A Disruptor
यह अफ़सोस की बात है कि देश में फिर भाषा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। अंग्रेज़ी बनाम हिन्दी, हिन्दी बनाम मराठी, हिन्दी बनाम कन्नड़, हिन्दी बनाम तमिल। ममता बनर्जी का कहना है कि वह बंगला के लिए मरने को तैयार हैं। ऐसे विवाद अनावश्यक है क्योंकि किसी भी भाषा को यहाँ ख़तरा नहीं है और न ही ममताजी के अपनी जान देने की ही ज़रूरत पडेगी। सारी भाषाओं का विकास होना चाहिए पर यहाँ तो अनावश्यक लड़ाई झगड़ें शुरू हो गए हैं। इस विवाद का सबसे बदसूरत चेहरा हमने मुम्बई में देखा जहां महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गुंडों ने उन लोगों को पीटना शुरू कर दिया जो मराठी नहीं बोल सकते। मुम्बई में सारे देश से लोग बसतें […]