नो बॉल या हिट विकेट?

नो बॉल या हिट विकेट?

पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के भारत दौरे की घोषणा कर दी गई है। यह मैच चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली, बैंगलूर तथा हैदराबाद में खेले जाएंगे। जब अंतिम बार एक-दूसरे से भिड़े थे वह 2007 की बात है। उसके बाद 2008 में मुंबई पर हमला हो गया और भारत सरकार ने घोषणा कर दी कि पाकिस्तान के साथ तब तक क्रिकेट के संबंध कायम नहीं किए जाएंगे जब तक पाकिस्तान मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। अभी तक पाकिस्तान ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की फिर भारत सरकार क्रिकेट खेलने के लिए कैसे तैयार हो गई? हमने उन्हें झुकाने का जबरदस्त प्रयास किया वे झुके नहीं तो हम ही झुक गए। 2008 से लेकर अब तक क्या बदल गया कि हम उनके साथ क्रिकेट खेलने के लिए तैयार हो गए। हम कहते रहे कि हम न भूलेंगे और न ही माफ करेंगे। लेकिन हम चार सालों में ही भूल गए और माफ करने को भी तैयार हैं। ताकतवार देशों की याददाश्त लम्बी होनी चाहिए पर उसके लिए रीढ़ की हड्डी भी चाहिए। हमारी तो रीढ़ की हड्डी ही नहीं लगती। अमेरिका ने अपने पर 9/11 के हमले का बदला पाकिस्तान में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को खत्म करके लिया। तब तक चैन नहीं ली जब तक लादेन को मार नहीं दिया गया। पर बदला लेना तो अलग, हम तो सद्भावना बनाने में लग गए हैं। और यह भी उल्लेखनीय है कि जिन शहरों में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेला जाएगा उनमें मुंबई शामिल नहीं है। क्या इसलिए कि वहां लोग विरोध करेंगे? मुंबई के जख्म अभी भी हरे हैं पर भारत सरकार पाकिस्तान के साथ क्रिकेट का जश्न मनाने जा रही है?

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे कह रहे हैं कि रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद पाकिस्तान दाऊद इब्राहिम को पाल रहा है। इंटरपोल के सम्मेलन में उनकी सिंह गर्जना थी कि सिर्फ आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उन्हें शरण देने वाले देशों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन यही शिंदे साहिब कह चुके हैं कि हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और जो बीत गया वह बीत गया। यह उन्होंने क्रिकेट के मैच शुरू करने के संदर्भ में कहा है। क्या उन्हें अपने इन कथनों में विरोधाभास नजर नहीं आता। अभी तो पाकिस्तान की क्रिकेट टीम आ रही है पर जवाबी शृंखला में क्या भारत की टीम पाकिस्तान जाने की स्थिति में भी है। जब से लाहौर में मार्च 2009 में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर हमला हुआ कोई भी विदेशी टीम वहां खेलने को तैयार नहीं। उस हमले में केवल ए के 47 ही इस्तेमाल नहीं की गई बल्कि खिलाडिय़ों को ले जा रही बस पर राकेट भी दागा गया और ग्रिनेड भी फैंके गए। छ: पुलिसकर्मी और दो नागरिक मारे गए। उनके पालतू आतंकवादियों ने तो श्रीलंका की टीम को बर्दाश्त नहीं किया वे भारत की टीम को कैसे बर्दाश्त करेंगे? हमारे खिलाड़ी तो पहले ही कह चुके हैं कि वह पाकिस्तान में नहीं खेलेंगे। उनके पूर्व खिलाड़ी शोएब अख्तर का कहना है कि ‘हमारे अपने नागरिक सुरक्षित नहीं और देश के अंदर युद्घ चल रहा है… मैं पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड को सलाह दूंगा कि वह विदेशी टीमों को न बुलाएं। सुनील गावस्कर जिनकी क्रिकेट के बारे सदा सकरात्मक प्रतिक्रिया रही है ने भी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंध जोड़ने पर आपत्ति की है। इसके इलावा एक और मसला है। जब भी हम उनके लिए दरवाजे खोलते हैं कुछ पाकिस्तानी ‘दर्शक’ यहां आकर लापता हो जाते हैं। समझा जाता है कि जो पाकिस्तानी लापता हुए उनमें आईएसआई के लोग भी थे। 2009 में 7691 पाकिस्तानी नागरिक यहां आकर लापता हो गए थे। अगर हम वीजा के नियम इसी तरह ‘रिलैक्स’ करते गए तो हम अपने लिए मुसीबत को आमंत्रित कर लेंगे। डेविड हैडली ने पूछताछ में बताया है कि उसको दिशा-निर्देश देने वाले अबदुर रहमान तथा साजिद मजीद 2005 में ‘क्रिकेट प्रेमी’ बन कर भारत आए थे। क्या सरकार को यकीन है कि हमारी मेजबानी का फिर दुरुपयोग नहीं होगा?

हमारे देश में कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान के प्रति जरूरत से अधिक रोमांटिक हैं। हाल ही में सुखबीर बादल वहां जाकर 2013 में उन्हें बिजली देने की पेशकश कर लौटे हैं जिससे रूस के पूर्व प्रधानमंत्री निकेता क्रश्चेव का वह कथन याद आ जाता है कि राजनेता वह होता है जो वहां पुल बनाने का वायदा करता है जहां नदी है ही नहीं। खुद पंजाब के पास पर्याप्त बिजली नहीं, और सुखबीर जी पाकिस्तान को बिजली देने चले हैं! यही सही है कि पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते हमारे हित में हैं। आखिर दोनों पड़ोसी देश हैं हम उन्हें अपने पड़ोस से हटा तो सकते नहीं लेकिन उनकी भी तो कुछ जिम्मेवारी है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे कह रहे हैं कि उधर से घुसपैंठ की लगातार कोशिश हो रही है। हमारी सुरक्षा एजेंसियां यह भी कह रही हैं कि पंजाब में फिर उग्रवाद को जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री को गृहमंत्रालय में तलब किया गया और गंभीर होती स्थिति के बारे बताया गया। अर्थात् कुछ देर शरीफ रहने के बाद उनकी एजेंसियां फिर बदमाशी के रास्ते पर चल रही हैं। ऐसी हालत में हम संबंध सामान्य करने के लिए इस तरह क्यों तड़प रहे हैं?

पाकिस्तान के साथ व्यापार खोलने को सरकार आपसी विश्वास बहाली का कदम कहती है लेकिन यह ‘विश्वास बहाली’ हो कैसे रही है यह भी देखने की जरूरत है। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान से सीमेंट ला रही रेल गाड़ी से कई बार हेरोइन पकड़ी गई है। इससे आतंकित होकर भारत के आयातकों ने फैसला किया है कि अब वह पाकिस्तान से ट्रेन के रास्ते सीमेंट नहीं मंगवाएंगे। पंजाब में 5 अरब रुपए की हेराईन पकड़ी जा चुकी है। जब भी मौका मिलता है वह नशीले पदार्थ इधर धकेल देते हैं। यह कैसा भाईचारा है कि आप नशीले पदार्थों के द्वारा हमारे युवाओं को भ्रष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। पंजाब में नशा अब बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। कुछ समय पहले सांबा सैक्टर में सीमा के नीचे पाकिस्तान की तरफ से खोदी गई 300 मीटर लम्बी सुरंग पकड़ी गई है। सरकार अपने अंतरिक्ष संस्थान से कह रहा है कि वह सैटेलाइट के जरिए सीमा की जांच करे कि कहीं और ऐसी सुरंगें तो नहीं हैं?

यह देखते हुए कि उस तरफ भी सीमा तक सेना या अर्धसैनिक बलों के उनके जवान गश्त करते रहते हैं यह मानना बहुत मुश्किल है कि उन्हें मालूम नहीं था कि क्या शरारत हो रही है। कभी वे कारगिल करते हैं, कभी वे मुम्बई पर हमला करते हैं, कभी वे नेपाल या समझौता एक्सप्रैस के द्वारा नकली नोट इधर भेजते हैं तो अब नवीनतम प्रयास इस सुरंग का है। अर्थात् पाकिस्तान किसी भी हालत में बाज आने वाला नहीं है हम सीमा को सुरक्षित करने का जितना भी प्रयास करें। मुम्बई पर हमला पानी के रास्ते करवाया गया, अब जमीन के अंदर से रास्ते निकालने का प्रयास हो रहा है। कौन जाने और कितने ऐसे प्रयास हो रहे हैं या हो चुके हैं? इसलिए सवाल उठता है कि जब वे हमें परेशान करने के प्रयास बंद नहीं करते तो हम उन्हें बचाने के लिए आर्थिक लाइफ लाइन क्यों फेंक रहे हैं? खेलों के मामले में भी कोई देश उनके साथ रिश्ता नहीं रखना चाहता पर भारत क्रिकेट खेलने जा रहा है। वह तो बदले नहीं पर हम ‘विश्वास बहाली’ के रास्ते पर दीवाने हो रहे हैं। मुंबई को भुला दिया गया है। आल इज वैल! वे नो बॉल फैंकते जा रहे हैं और हम हिट विकेट होते जा रहे हैं!

-चन्द्रमोहन

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.