शी जीनपिंग और अनिच्छुक मछली, Covid Trouble For Xi Zinping

January 5, 2023 Chander Mohan 0

 वर्ष के अंत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना में चीन के राष्ट्रपति शी जीनपिंग जो खुद को एक प्रकार का आधुनिक सम्राट समझने लगे थे, के मज़बूत लगने वाले क़िले की कुछ ईंटें गिरनी तो कुछ खिसकनी शुरू हुई हैं। यह प्रक्रिया रूक जाती है या जारी रहती है, पर वैश्विक राजनीति का भविष्य टिका है। चीन एक सुपरपावर है जो शांत और भद्र नहीं है। वह आक्रामक और विध्वंसक महाशक्ति है। उसे यह छवि देने में शी जीनपिंग की बड़ी भूमिका रही है। वह माओ त्सी तुंग की तरह एकमात्र और सर्वोच्च नेता बनना चाहते है पर भूल गए कि दुनिया बदल गई है और चीन के लोग भी आज़ादी की हवा से अछूते नहीं है। हर ताकतवर नेता […]

जब चिट्टी बईं काली नहीं रही (Retain Benefits To Environment)

May 28, 2020 Chander Mohan 0

3 अप्रैल को जालन्धर निवासियों को एक अद्भुत और दिलकश नज़ारा देखने को मिला। अपने घरों की छत से उन्हें 160 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश की बर्फ़ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रंखला के दर्शन हो रहे थे। उपर निर्मल नीला आकाश और दूर चमकता धौलाधार ! अपनी अच्छी क़िस्मत पर इंसान झूम उठा। ऐसा ही अनुभव श्रीनगर में हुआ जब लोगों को 190 किलोमीटर दूर पीर पंजाल शृंखला देखने को मिली। लॉकडाउन के बीच उत्तर भारत के कई शहरों से कई किलोमीटर दूर पहाड़ नज़र आने लगे। जैसे जैसे इंसान पीछे हटता गया क़ुदरत ने अपनी जगह वापिस हासिल करने का ज़बरदस्त प्रयास किया। कारख़ानों की चिमनियों से ज़हरीला धुआँ निकलना बंद हो गया। उन दिनों किसान पराली नही जला […]

देश की अनाथ औलाद (The Lost People of India)

May 14, 2020 Chander Mohan 0

प्रवासी मज़दूरों की त्रासदी ज़ारी है। महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नज़दीक रेल पटरी पर सोए 16 मज़दूरों को माल गाड़ी रौंद गई।चालक कल्पना नही कर सकता था की रेल पटरी पर भी कोई सो सकता है। लेकिन बात दूसरी है। कितनी मजबूरी थी कि थके हारे भूखे प्यासे पुलिस के डंडों से बचते यह सब रेल पटरी पर ही सो गए? पहले लॉकडाउन ने ज़िन्दगी पटरी से उतार दी अब पटरी पर आ रही रेल उनके चिथड़े कर निकल गई। लॉकडाउन के कारण कई सौ किलोमीटर दूर अपने अपने गाँव के लिए निकले 80 प्रवासी रास्ते में ही दम तोड़ चुकें हैं। आज़ादी के बाद का यह सबसे बड़ा पलायन है। समय पर लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में जाने बचाईं […]

जब दोस्तियाँ दूरियों में बदल गईं (When Distance Became Security)

May 7, 2020 Chander Mohan 0

फ़िल्म ‘मौसम’ का संजीव कुमार और शर्मीला टैगोर पर फ़िल्माया गुलज़ार द्वारा लिखित ख़ूबसूरत गाना है, ‘दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन’। हर आदमी चाहता है कि उसके पास कुछ अतिरिक्त समय हो जिसका जैसे वह चाहे इस्तेमाल कर सके पर जब लॉकडाउन के कारण छप्पड़ फाड़ कर फ़ुर्सत के दिन ज़बरदस्ती मिले तो मानवता विचलित हो उठी। दोस्तियां दूरियों में बदल गईं। इंसान इंसान से ख़तरा महसूस करने लगा। जो अजनबी है वह चुनौती बन गया। दुकानें बंद,सड़के वीरान, पार्क सुनसान हो गए। कर्फ़्यू के कारण एक समय चारो तरफ़ सन्नाटा था।मरीज़ों के या मृतकों के आँकड़े ज़रा सा बढ़तें तो अखबारेंचिल्ला उठती,‘हड़कम्प मच गया’, ‘भूचाल आ गया’। कई टीवी चैनल अपनी जगह दहशत बढ़ाने में […]