मनमोहन सिंह के बाद कौन?

July 4, 2013 Chander Mohan 1

मनमोहन सिंह के बाद कौन? अफसोस की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता जनता द्वारा सीधा चुना हुआ नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फिर राज्यसभा के लिए असम से नामांकन भरे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में ऐसा स्वीकार नहीं होगा। अब तो पाकिस्तान में भी प्रधानमंत्री सीधा जनता के द्वारा चुना गया है। हमारे देश में सभी बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी सीधे जनता द्वारा निर्वाचित थे। जब पी वी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने तो वे किसी सदन के सदस्य नहीं थे। वह तो सामान बांध कर अपने हैदराबाद लौट रहे थे कि उनके सर पर ताज रख दिया गया। वे भी छ: महीने के अंदर-अंदर लोकसभा के […]

करें या न करें, यही है सवाल

July 4, 2013 Chander Mohan 0

करें या न करें, यही है सवाल राहुल गांधी का आचरण कई बार शेक्सपीयर के पात्र डैनमार्क के युवराज हैमलॅट की याद ताजा कर देता है, टू बी ऑर नौट टू बी, इज द क्वश्चन? करूं या न करूं? यही सवाल है। दुविधा है। वे दस वर्षों से राजनीति में हैं लेकिन अभी तक यह निर्णय नहीं कर सके कि वे इसे पसंद करते हैं या नहीं करते? शुरू में उनके पिता राजीव गांधी इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट थे। उन्हें राजनीति नहीं करनी। अगर किस्मत ने दखल न दिया होता और हवाई हादसे में भाई संजय की मौत न होती तो राजीव इस वक्त तक एयरलाईन के सीनियर कैप्टन रिटायर हो चुके होते। न ही सोनिया गांधी को ही […]

बदलाव आएगा कैसे?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

बदलाव आएगा कैसे? जयपुर में राहुल गांधी के भावुक भाषण को सुन कर दिसंबर 1985 में मुंबई में राजीव गांधी के कांग्रेस शताब्दी पर दिए गए भाषण की याद ताजा हो गई जब राजीव ने कहा था कि “हम (कांग्रेसजन) सार्वजनिक नैतिकता के किसी नियम का पालन नहीं करते, कोई अनुशासन नहीं है, सामाजिक जागरूकता की कोई भावना प्रकट नहीं करते, सार्वजनिक हित के लिए कोई चिंता नहीं। भ्रष्टाचार न केवल बर्दाश्त ही नहीं किया जाता उसे नेतृत्व का मापदंड भी समझा जाता है।” उस भाषण को 27 वर्ष हो गए। इस बीच अटल बिहारी वाजपेयी के शासन को छोड़ कर अधिकतर कांग्रेस या कांग्रेस समर्थक सरकारें ही रही हैं। पिछले नौ साल से तो सरकार की कमान सीधी कांग्रेस […]

फांसी से लटकते सवाल

July 4, 2013 Chander Mohan 0

फांसी से लटकते सवाल अजमल कसाब को लगी फांसी के साथ ही कुछ लोग यह मांग करने लगे हैं कि देश के कानून से मौत की सजा हटा दी जानी चाहिए क्योंकि यह बर्बर है, असभ्य है और अधिकतर देशों से हट चुकी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा भी बार-बार यह प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि मौत की सजा पर रोक लगा दी जानी चाहिए। जिन देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट नहीं दिया उनमें भारत शामिल है। भारत का पक्ष है कि वह इस सजा को बहुत कम इस्तेमाल करेगा। यह बहस और भी तीखी हो गई है क्योंकि यहां अफजल गुरू, बलवंत सिंह राजोआना, राजीव गांधी के हत्यारे जैसे मामले लंबित हैं और हो सकता है […]

विश्वास भी पेड़ों पर नहीं लगता

July 4, 2013 Chander Mohan 0

विश्वास भी पेड़ों पर नहीं लगता अभी तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यह प्रभाव देते रहे कि देश में कुछ भी हो जाए, उन्हें किसी को स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। वास्तव में कांग्रेस की त्रिमूर्ति (सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी) यह प्रभाव देती रही कि उन्हें किसी को कोई जवाब देने की जरूरत नहीं। लेकिन ममता बैनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का यूपीए से प्रस्थान, सफल भारत बंद तथा डीज़ल की कीमतों में भारी वृद्धि और रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर देश में जो भूचाल आया उसने सरकार को इस तरह हिला कर रख दिया कि प्रधानमंत्री को भी अपनी बात कहने के लिए जनता के सम्मुख आना पड़ा। पर अफसोस यह है कि उन्होंने जो […]