करें या न करें, यही है सवाल

July 4, 2013 Chander Mohan 0

करें या न करें, यही है सवाल राहुल गांधी का आचरण कई बार शेक्सपीयर के पात्र डैनमार्क के युवराज हैमलॅट की याद ताजा कर देता है, टू बी ऑर नौट टू बी, इज द क्वश्चन? करूं या न करूं? यही सवाल है। दुविधा है। वे दस वर्षों से राजनीति में हैं लेकिन अभी तक यह निर्णय नहीं कर सके कि वे इसे पसंद करते हैं या नहीं करते? शुरू में उनके पिता राजीव गांधी इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट थे। उन्हें राजनीति नहीं करनी। अगर किस्मत ने दखल न दिया होता और हवाई हादसे में भाई संजय की मौत न होती तो राजीव इस वक्त तक एयरलाईन के सीनियर कैप्टन रिटायर हो चुके होते। न ही सोनिया गांधी को ही […]

विश्वास भी पेड़ों पर नहीं लगता

July 4, 2013 Chander Mohan 0

विश्वास भी पेड़ों पर नहीं लगता अभी तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यह प्रभाव देते रहे कि देश में कुछ भी हो जाए, उन्हें किसी को स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। वास्तव में कांग्रेस की त्रिमूर्ति (सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी) यह प्रभाव देती रही कि उन्हें किसी को कोई जवाब देने की जरूरत नहीं। लेकिन ममता बैनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का यूपीए से प्रस्थान, सफल भारत बंद तथा डीज़ल की कीमतों में भारी वृद्धि और रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर देश में जो भूचाल आया उसने सरकार को इस तरह हिला कर रख दिया कि प्रधानमंत्री को भी अपनी बात कहने के लिए जनता के सम्मुख आना पड़ा। पर अफसोस यह है कि उन्होंने जो […]

पवार बेपरवाह है !

July 4, 2013 Chander Mohan 0

पवार बेपरवाह है! आखिर वह क्षण आ ही गया। बहुत देर आनाकानी करने तथा लुकन-छिपाई खेलने के बाद राहुल गांधी ने घोषणा कर दी है कि वह बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है चाहे कब और कैसे होगा इसका फैसला उन्होंने सोनिया गांधी तथा मनमोहन सिंह पर छोड़ दिया। जब सलमान खुर्शीद ने कहा कि राहुल केवल झलक ही दिखलाते हैं और उन्हें आगे आकर दिशा और नेतृत्व देना चाहिए तब ही समझ आ गया था कि कुछ खिचड़ी पक रही है नहीं तो सलमान खुर्शीद की यह जुर्रत नहीं कि युवराज पर कटाक्ष कर सके। उसके बाद केंद्रीय मंत्रियों तथा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ऊंची-ऊंची मांग करनी शुरू कर दी कि ‘राहुल लाओ, हमें बचाओ।’ पर ऐसी […]