जमाना बेताब है करवट बदलने को!

July 4, 2013 Chander Mohan 0

जमाना बेताब है करवट बदलने को! भाजपा के भीष्म पितामह ने अपना अंतिम बाण चला दिया। उन्होंने इस्तीफ दे दिया। लेकिन वे भी देख रहे होंगे कि यह बाण कहीं लगा नहीं। मीडिया में हलचल के बावजूद पार्टी अब अपनी दिशा बदलने के लिए तैयार नहीं। संसदीय बोर्ड ने भी उन्हें मार्गदर्शन तथा सलाह देने का आग्रह किया है किसी ने यह नहीं कहा कि पितामह! बाणशैय्या से उठिए और 2014 के युद्ध में हमारा नेतृत्व कीजिए! भाजपा ने अपना भविष्य तय कर लिया है, और आडवाणी उसका हिस्सा नहीं हैं। इस जगह तक पार्टी को पहुंचाने में आडवाणीजी की बड़ी भूमिका है। भाजपा के जितने नेता हैं, नरेंद्र मोदी समेत, उन सबको एक प्रकार से उन्होंने उंगली पकड़ कर […]

मनमोहन सिंह के बाद कौन?

July 4, 2013 Chander Mohan 1

मनमोहन सिंह के बाद कौन? अफसोस की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता जनता द्वारा सीधा चुना हुआ नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फिर राज्यसभा के लिए असम से नामांकन भरे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में ऐसा स्वीकार नहीं होगा। अब तो पाकिस्तान में भी प्रधानमंत्री सीधा जनता के द्वारा चुना गया है। हमारे देश में सभी बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी सीधे जनता द्वारा निर्वाचित थे। जब पी वी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने तो वे किसी सदन के सदस्य नहीं थे। वह तो सामान बांध कर अपने हैदराबाद लौट रहे थे कि उनके सर पर ताज रख दिया गया। वे भी छ: महीने के अंदर-अंदर लोकसभा के […]

ऐसे लोग अभी भी हैं?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

ऐसे लोग अभी भी हैं? वाम मोर्चा पांचवी बार त्रिपुरा में चुनाव जीत गया है। जहां पश्चिम बंगाल में तीन दशकों की सत्ता के बाद लोगों ने उन्हें रद्द कर दिया, त्रिपुरा में मोर्चे को 60 में से 50 सीटें मिली है। इस भारी जीत के पीछे एक असाधारण राजनेता हैं। मेरा अभिप्राय वहां के मुख्यमंत्री माणिक सरकार से है जो सातवां चुनाव जीत गए हैं और चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं। माणिक सरकार के बारे इतना ही बताना काफी है कि वह देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं। पिछले चुनाव में शपथपत्र में उन्होंने जयदाद में ‘शून्य’ भरा था। इस चुनाव में शपथपत्र के अनुसार उनके पास 10,800 रुपए हैं। उनके पास न अपना घर है, न जमीन है, […]

एक ही सिक्के के दो पहलू?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

एक ही सिक्के के दो पहलू? यह वह देश है जहां कभी एक रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस्तीफा दिया था पर आज दबंग सब कहते हैं, ‘मैं क्यों इस्तीफा दूं?’ ऐसे -ऐसे घोटाले हुए हैं कि सर चकरा जाता है पर किसी की अंतरात्मा नहीं जागती कि वे भी नैतिक जिम्मेवारी लेकर इस्तीफा दे दें। उलटा केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री के लिए 71 लाख रुपए तो मामूली रकम है, 71 करोड़ रुपए होते तो गंभीर मसला होता। इससे उत्तर प्रदेश के मंत्री शिवपाल सिंह यादव का कथन याद आ गया कि सरकारी कर्मचारी अगर छोटा पैसा हजम करते हैं तो कोई बात नहीं, उन्हें मोटी रकम […]