भारत, बांग्लादेश और 15 अगस्त, India, Bangladesh And 15th August

August 15, 2024 Chander Mohan 0

वह भी एक 15 अगस्त था, 49 साल पहले। 1975 में स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब लालक़िले की सीढ़ियां चढ़ रहीं थी तो उन्हें एक चिट पकड़ाई गई, ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख़ मुजीबुर्रहमान, उनकी पत्नी,तीन बेटे और दो बहुओं की हत्या कर दी गई। हत्यारे बांग्लादेश के सैनिक थे जिन्हें बाद में फाँसी पर चढा दिया गया। शेख़ हसीना और उनकी छोटी बहन रेहाना योरूप में थी इसलिए बच गईँ। बाद में उन्हें नई दिल्ली में शरण दी गई और पंडारा रोड में एक मकान दे दिया गया। इंदिरा गांधी ने प्रणव मुखर्जी की ज़िम्मेवारी लगाई कि वह इन बहनों का ध्यान रखें। जब तक प्रणव मुखर्जी रहे यह रिश्ता चलता रहा। 5अगस्त को शेख़ हसीना […]

नीतीश-मुक्त बिहार चाहिए, Bihar Needs To Be Nitish-Mukt

February 8, 2024 Chander Mohan 0

कसमें खाने के बाद कि “मर जाना क़बूल है, उनके साथ जाना क़बूल नही”, नीतीश कुमार फिर ‘उनमे’ (एनडीए)  शामिल हो गए हैं। यह उनका पाँचवा पलटा है। 2013 में भाजपा द्वारा नरेन्द्र मोदी को पीएम का चेहरा घोषित करने का बाद वह एनडीए को छोड़ गए थे। 2015 का चुनाव उन्होंने राजद-कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ मिल कर लड़ा था। 2017 में लोकसभा चुनाव से पहले वह एनडीए में लौट आए थे। पाँच साल के बाद यह भाँपते हुए कि भाजपा उनकी जेडीयू का विभाजन करने की कोशिश कर रही है उन्होंने एनडीए को छोड़ कर राजद के साथ सरकार बना ली। और अब 2024 में लोकसभा के चुनाव से पहले राजद-कांग्रेस और वाम को एक तरफ़ फेंक […]

क्या संदेश? कौन संदेशवाहक? ,What Message? Who Messenger ?

September 7, 2023 Chander Mohan 0

  भारतीय जनता पार्टी और एनडीए दोनों इस मामले में स्पष्ट हैं कि उनका संदेश भी नरेन्द्र मोदी हैं और उनके संदेशवाहक भी नरेन्द्र मोदी ही हैं। किसी क़िस्म का कोई कंफ्यूजन नही है। सब कुछ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द ही है। और कोई नहीं। भाजपा की सारी उर्जा, कारगुज़ारी, नीति सबका नाम भी नरेन्द्र मोदी हैं। लगभग दो अवधि पूरी करने के नज़दीक नरेन्द्र मोदी की स्थिति बाक़ी वैश्विक नेताओं से अलग है। शासन विरोधी भावना जिसका सामना दूसरों को करना पड़ता है उनकी लोकप्रियता को कोई क्षति नहीं पहुँचा रही। हाल ही में इंडिया टुडे-सीवोटर ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वेक्षण के अनुसार 52 प्रतिशत लोग महसूस करते हैं कि वह प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे […]

तेरे सामने आसमान और भी है (You Have More Skies To Conquer)

September 12, 2019 Chander Mohan 0

आजाद भारत के इतिहास में ऐसा रोमांचक क्षण पहले 16 दिसम्बर, 1971 को आया था जब ढाका में पाकिस्तान की सेना ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही बांग्लादेश का युद्ध समाप्त हो गया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रेडियो पर भाषण सुनने के लिए तब देश देर रात तक जागा था। अब यह दूसरा मौका था जब रोमांचित हुआ देश चंद्रयान-2 की पूर्ण सफलता की इंतजार में देर रात तक जागा हुआ था। 7 सितम्बर शनिवार की सुबह 1.50 मिनट पर चारों तरफ उत्साह था। विक्रम लैंडर ने चांद पर अपना उतार शुरू कर दिया था। बड़े स्क्रीन पर हरा बिन्दु निर्धारित लाल रेखा के साथ चल रहा था कि एक मिनट के बाद सब गड़बड़ हो गया। […]

रिश्तों की नींव हिल गई (Uncertainty in Indo-US Relations)

August 1, 2019 Chander Mohan 0

अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के अनिश्चित रिश्तों के बारे अपनी किताब में चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के सलाहकार रहे ब्रूस रीडल लिखते हैं,  “इस क्षेत्र में अमेरिका अपने अधिकतर लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहा है। रुज़वैल्ट से लेकर ओबामा तक अधिकतर अमरीकी राष्ट्रपतियों ने पाया कि उपमहाद्वीप में आगे बढ़ना मुश्किल है… इतिहास साक्षी है कि अमेरिकी कदमों ने बुरी स्थिति को बदतर बना दिया था…।” अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने यह किताब पढ़ी होती या अपने सलाहकारों की राय मानी होती तो इमरान खान के साथ अपनी बैठक में कश्मीर में अपनी मध्यस्थता की अनावश्यक पेशकश न कर बैठते। इमरान खान के लिए तो छींका फूटने वाली बात हो गई लेकिन अपनी इस लापरवाही से ट्रम्प […]

दो कोरिया के बाद भारत-पाक? (After Koreas Indo-Pak ?)

May 10, 2018 Chander Mohan 0

कई लोग भावुक हो रहें हैं। जब से उत्तर तथा दक्षिण कोरिया के बीच संबंध बेहतर हुए हैं हमारे यहां तथा पाकिस्तान में भी, कई लोग उत्साह से भारत तथा पाकिस्तान के नजदीक आने के सपने देख रहें हैं। कहा जा रहा है कि भारत 70 वर्षों में विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थ व्यवस्था बन सकता है तो अगर भारत तथा पाकिस्तान इकट्ठे होते तो हम दूसरी या तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था होते। पाकिस्तान में ऐसी आवाजें बहुत उठ रही हैं। अपनी आंतरिक समस्याओं तथा बेचैन माहौल के कारण वहां नैराश्य का वातावरण है। द डॉन अखबार के प्रमुख स्तम्भकार सायरल एलमीडिया ने लिखा है  “आखिर में हमें वह आग ही भस्म करती है जो हमने खुद जलाई हो।“ जुबेदा […]