विपक्ष का भटकता कारवाँ और राहुल गांधी, Confused Opposition And Rahul Gandhi

March 13, 2025 Chander Mohan 0

मंज़िल जुदा जुदा है, मक़सद जुदा जुदा है,                भीड़ तो जमा है,यह कारवां नही 2024 के लोकसभा चुनाव, जहां इंडिया गठबंधन ने मिल कर भाजपा को बहुमत से नीचे रखा था, के परिणाम के बाद यह आशा जगी थी कि इंडिया गठबंधन अब नरेन्द्र मोदी की सरकार को ज़बरदस्त चुनौती देगा। पर जैसे जैसे समय बीत रहा है यह प्रभाव है कि सामंजस्य की कमी और गम्भीर मतभेदों के कारण यह गठबंधन भटक गया है और अप्रासंगिकता के कगार पर है। कई पर्यवेक्षक तो असामयिक मौत की बात कर रहें हैं। पहले हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम और फिर दिल्ली के चुनाव परिणाम के बाद यह नज़र आने लगा है कि न केवल यह गठबंधन बिखरने के कगार […]

भाजपा ‘सेफ़’ है, और कांग्रेस…?. BJP is ‘Safe’, But Congress…?

November 28, 2024 Chander Mohan 0

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम सब सियानों को ग़लत साबित कर गए। ऐसा हरियाणा चुनाव में भी हुआ था। महाराष्ट्र के बारे लोकसभा चुनाव परिणाम को मापदंड रखा गया जहां महाविकास अघाड़ी को 48 में से 30 सीटें मिली थी और भाजपा के नेतृत्व में महायुति को 17 से ही संतुष्ट होना पड़ा था। कि भाजपा का नेतृत्व छ: महीने के अंदर अंदर बाज़ी पलट देगा यह सोचा भी नहीं गया। सब ‘काँटे की टक्कर’ की रट लगाते रहे। चुनाव से पहले भविष्यवाणी करना अब ख़तरे से ख़ाली नहीं क्योंकि लोग अपना मन नहीं बताते और पिछले आँकड़ों पर आधारित आँकलन ग़लत निकल रहें हैं। महाराष्ट्र में न केवल महायुति का प्रदर्शन बढ़िया रहा है, भाजपा वहाँ सब पर […]

प्रियंका गांधी की सक्रिय एंट्री, Priyanka Gandhi’s Entry

November 6, 2024 Chander Mohan 0

पुरानी बात है। तब लाल कृष्ण आडवाणी देश के उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे (2002-04)। उनके निवास स्थान पर एक मुलाक़ात के दौरान मैंने उनसे प्रियंका गांधी के राजनीतिक भविष्य के बारे पूछा था। आडवाणीजी का जवाब था, “हाँ, वह एक चुनाव जीत सकतीं हैं”। प्रियंका उस वक़्त लगभग 30 वर्ष की थीं। 1989 में जब वह 17 वर्ष की थीं तो अपने पिता राजीव गांधी के लिए उन्होंने प्रचार किया था पर अधिकतर माँ और भाई का हाथ ही बँटाती रहीं। उस वक़्त कहा गया कि प्रियंका की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि न केवल शक्ल बल्कि हाव भाव में भी वह इंदिरा गांधी से मिलती हैं। जब माँ सोनिया गांधी कर्नाटक में बेल्लारी में सुषमा स्वराज के खिलाफ चुनाव […]

दोहरी कामयाबी, Double Achievement

October 10, 2024 Chander Mohan 0

देश की राजनीति में हरियाणा का उसके आकार से कहीं अधिक महत्व रहा है। वह दिल्ली का द्वार है और तीन तरफ़ से उसने दिल्ली को घेर रखा है। दिल्ली जाने के लिए हर हमलावर, तुर्क, यूनानी, अफ़ग़ान, फ़ारसी सब हरियाणा से ही गुजर कर गए थे। पानीपत की तीन लड़ाईयों भी दिल्ली के लिए लड़ी गईं। उज़बेक बाबर ने  मुग़ल साम्राज्य की नींव पानीपत में जीत के बाद रखी। वर्तमान समय में भी हरियाणा और उत्तर प्रदेश दिल्ली के खिलाफ आन्दोलनों की ज़मीन रहें हैं। हरियाणा ने ही किसानों को दिल्ली जाने से एक साल रोके रखा। इसलिए हरियाणा के परिणाम से केन्द्र सरकार और भाजपा नेतृत्व को राहत मिलेगी। दिल्ली के उनके क़िले का सुरक्षा कवच कायम है। […]

क्या राहुल गांधी टार्गेट हैं?, Is Rahul Gandhi A Target?

September 26, 2024 Chander Mohan 0

अक्तूबर 1984 के शुरू की बात है। हम वीरेंद्र जी के साथ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके कार्यालय में मिले थे। ब्लू स्टार के बाद उस वक़्त पंजाब उबल रहा था। पिताजी ने इंदिराजी को सावधान करते हुआ कहा “आप टार्गेट हैं”। इस पर उनका जवाब था, “ हूँ नहीं, पर बनाई जा रही हूँ”। 31 अक्तूबर को उनकी बात सही साबित हो गई जब घर के अन्दर ही उनकी हत्या कर दी गई। आज जब कुछ लोग राहुल गांधी के खिलाफ हिंसा की बात कर रहें हैं मेरे ज़हन में इंदिराजी की बात गूंज रही है। क्या अब राहुल गांधी को टार्गेट बनाया जा रहा है? जब से राहुल गांधी अमेरिका से लौटें है उनके विरोधियों में उनको गालियाँ […]

मिस इंडिया में भी आरक्षण ?, Reservation In Miss India?

August 29, 2024 Chander Mohan 0

देश अब राहुल गांधी को गम्भीरता से लेने लगा है। विपक्ष के नेता के तौर पर भी उनकी भूमिका सही रही है। जहां वह सरकार की आलोचना करते रहे वहाँ जब राष्ट्रीय हित की बात आई तो बांग्लादेश के संकट में सरकार को पूर्ण सहयोग दिया। जहॉ यह सब सकारात्मक है वहां उनकी राजनीति की दिशा बेचैनी भी पैदा कर सकती है। सवाल उठ रहें हैं कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी को पराजित करने के लिए राहुल गांधी देश को उस तरफ़ तो नहीं धकेल रहे जहां आगे अधिक अविश्वास है, तनाव है, टकराव है? मेरा अभिप्राय उनकी जाति जनगणना पर लगातार ज़ोर देने पर है। आभास यह मिलता है कि वह इतना बहक गए हैं कि सोच गड़बड़ाने लगी […]