झटके खाती हमारी कूटनीति (The Failure of Diplomacy)
हमने प्रयास किया। बार-बार ईमानदार प्रयास किया। अटल जी बस में लाहौर गए तो कारगिल मिला। नरेन्द्र मोदी नवाज शरीफ के पारिवारिक समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे तो तत्काल पठानकोट और उरी हो गया। जब उधर से हमारे प्रयास का जवाब आतंकी हमले से मिलता है तो हम नाराज़ हो जाते हैं। दुनिया के मंचों से उन्हें लताडऩे लगते हैं जैसे अब न्यूयार्क में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। सुषमा जी का संयुक्त राष्ट्र में दिया भाषण अच्छा था। अटल जी के बाद वह हिन्दी में सबसे अच्छी सार्वजनिक वक्ता हैं लेकिन यह भाषण किस मकसद से है? उन्होंने पाकिस्तान को आतंकियों का पनाहगार कहा। कहा कि इस माहौल में जब वह आतंकियों का महिमामंडन कर रहे […]