कहां गए ऐसे लोग? Where Have Such People Gone?

November 23, 2023 Chander Mohan 0

हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत शहर पालमपुर जहां से धौलाधार पर्वत ऋंखला का सुन्दर नजारा देखने को मिलता है और जो अपने चाय बाग़ान के लिए मशहूर है, से एक बदसूरत विवाद खड़ा हुआ है। मामला कुछ ऐसा है। वहाँ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का एक बुत दशकों से लगा था जिसकी हालत ख़राब हो गई थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार जो हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री दोनों रह चुकें है, को बुत की जर्जर हालत पसंद नहीं आई और उन्होंने अपनी तरफ़ से 1 लाख रूपए का चैक भेज कर एसडीएम से इसे बनवाने का अनुरोध किया। जब नेहरूजी का नया आदमकद बुत बन गया तो पालमपुर के युवा कांग्रेस नेता आशीष बुटेल ने शांताजी से अनुरोध […]

कांग्रेस का बेवजह एतराज़, Congress Complains Unnecessarily

August 24, 2023 Chander Mohan 0

जवाहर लाल नेहरू देश के महानतम प्रधानमंत्री थे। यह बात पहले भी मैं कई बार लिख चुका हूँ आज फिर दोहरा रहा हूँ कि अगर नेहरू विभाजन से त्रस्त लडखडाते लगभग कंगाल भारत को न सम्भालते तो शायद हमारा हश्र पाकिस्तान जैसा होता। गांधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हो गई और सरदार पटेल का देहांत 15 दिसम्बर 1950 को हो गया। अर्थात् जिस त्रिमूर्ति ने हमारी आज़ादी की लडांई का नेतृत्व किया उसमें से 1951 में केवल नेहरू बचे थे। योजना आयोग से लेकर भाखड़ा डैम, आईआईटी, आईआईएम, एम्स, भाभा परमाणु संस्थान, इसरो बहुत कुछ की नींव  नेहरू के समय  डाली गई।  यह सब उस वकत हुआ जब हम बहुत पिछड़े हुए थे। संसदीय लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा […]

मुशर्रफ: विवादित विरासत, Musharraf : Disputed Legacy

February 16, 2023 Chander Mohan 0

परवेज़ मुशर्रफ का भी वही हश्र हुआ है जो पहले कई तानाशाह का हो चुका है।  मुशर्रफ की मौत सद्दाम हुसैन की तरह ‘चूहे की मौत’ तो नहीं कही जा सकती पर अपने अंतिम दिनों में उन्हें अत्यंत अपमानजनक ज़िन्दगी जीनी पड़ी थी यहाँ तक कि अपना देश छोड़ कर दुबई भागना पड़ा था। वह देश नहीं लौट सकते थे और मौत के बाद ही उनका शव दफ़नाने के लिए पाकिस्तान लाया गया। उन्होंने अक्तूबर 1999 में नवाज़ शरीफ़ की सत्ता पलट दी थी।   दो साल  बाद आगरा शिखर वार्ता के लिए उन्होंने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया।2008 तक वह राष्ट्रपति रहे पर फिर हालात उनके ख़िलाफ़ होते गए और उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी। एक साल पहले बेनजीर भुट्टो […]

कोरोना काल में सरकार और विपक्ष , Government and Opposition in Covid Times

May 20, 2021 Chander Mohan 0

आजाद भारत में इस महामारी से पहले बड़ा राष्ट्रीय संकट 1962 की सर्दियों में आया था जब चीन के हाथों हमें मार पड़ी थी। यह शिकस्त हमें बड़े सबक़ सिखा गई पर तब के घटनाक्रम में लोकतन्त्र के लिए भी सबक़ छिपा है। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने निश्चित किया कि संसद में घटनाक्रम पर पूरी बहस हो। बहस के दौरान वह पूरा समय सदन में मौजूद रहे यह जानते हुए भी कि उनसे कड़वे और असुखद सवाल पूछे जाएँगे। वह महसूस करते थे कि वह देश के नेता हैं इसलिए जो कुछ हुआ सबसे अधिक उनकी जवाबदेही बनती है। विपक्ष ने सरकार और विशेष तौर पर नेहरू पर ज़बरदस्त हमला किया। उन्होने ख़ूब बेइज़्ज़ती सही। अगर […]

कारगिल: बीस साल बाद (Kargil 29 Years Later)

July 25, 2019 Chander Mohan 0

विश्व का इतिहास विश्वासघात की घटनाओं से भरा पड़ा है। ईसा से 44 वर्ष पहले जूलियस सीज़र से दगा कर उसके अभिन्न मित्र बू्रटस ने दूसरे सैनिटरज़ के साथ मिल कर उसकी बेहरमी से हत्या कर दी थी। हिटलर ने भी कई वायदे किए और बाद में तोड़ डाले। हमारा अपना इतिहास भी ऐसी धोखे की घटनाओं से भरा हुआ है। पृथ्वीराज चौहान की मिसाल हमारे सामने है। मीर जाफर ने बंगाल की सेना से दगा कर अंग्रेजों के लिए दरवाज़ा खोल दिया और उन्होंने पौने दो साल हम पर राज किया। ऐसे विश्वासघात का अनुभव प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी 1999 में बुरी तरह से हुआ था जब वह फरवरी में बस पर सवार बैंड-बाजे के साथ पाकिस्तान […]