साल जो हमें विभाजित छोड़ गया (The Year That Left Us Divided)
गतिरोध से ग्रस्त संसद इसका प्रतीक बन गई है। आपसी द्वेष और कड़वाहट संसद की कार्रवाई का अब हिस्सा बन गई है। 24 वर्ष से ब्रिटिश सांसद चले आ रहे मेघनाथ देसाई ने लिखा है कि उन्होंने वहां एक बार भी किसी सांसद को चीखते चिल्लाते नहीं देखा। न वह अपनी जगह छोड़ते हैं। पूरी मर्यादा रखी जाती है पर यहां तो सोनिया गांधी भी वैल में पहुंच चुकीं हैं। वरिष्ठ नेता नारेबाजी करते हैं। राजनेताओं के बीच आपसी शिष्टाचार ही खत्म हो गया लगता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा देश के प्रधानमंत्री को ‘मनोरोगी’ कहना तो पतन की पराकाष्ठा है। बदतमीजी है। संसद का इस तरह अप्रासंगिक हो जाना हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। […]