राहुल गांधी और उनका ‘मैथ्स’, Rahul Gandhi and his Maths

June 8, 2023 Chander Mohan 0

ममता दीदी का सुर कुछ बदला हुआ है। एकला चलो  की नीति पर चल रही ममता बैनर्जी ने कर्नाटक के चुनाव परिणाम के बाद यू-टर्न ले लिया है। अब वह कांग्रेस को लताड़ नहीं रही और उनका कहना है कि जहां कांग्रेस मज़बूत है वहाँ हम समर्थन देंगे पर जहां क्षेत्रीय दल मज़बूत है वहाँ कांग्रेस को समर्थन देना चाहिए। ममता का कहना है कि “ हमारा आँकलन है कि लोकसभा की 200 सीटों पर कांग्रेस मज़बूत है लेकिन यूपी में सपा, दिल्ली में आप, बंगाल मे तृणमूल, बिहार में जेडीयू- आरजेडी मज़बूत हैं”। यह पहली बार है जब ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ किसी विपक्षी गठबन्धन में कांग्रेस की केन्द्रीयता स्वीकार की है। खुद तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय […]

विपक्ष: बहुत कठिन है डगर पनघट की, Not An Easy Road For Opposition Unity

April 20, 2023 Chander Mohan 0

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई की लम्बी नौ घंटे की पूछताछ से विपक्षी ख़ेमे में और हलचल पैदा हो गई है। अगर सीबीआई, ईडी, आयकर आदि का इस्तेमाल कर केन्द्रीय  सरकार विपक्ष को डराने की कोशिश कर रही है तो असर उल्टा हो रहा है। लगभग हर विपक्षी पार्टी के किसी न किसी नेता को छेड़ा जा चुका  है जिससे विपक्ष में यह भावना प्रबल हो रही है कि डूबेगी किश्ती तो डूबेंगे सारे। केजरीवाल जो बहुत ही होशियार राज नेता है का कहना है कि, ‘सबका नम्बर आऐगा’।  इस बीच उनकी आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल गया है। दस साल के अल्प समय में इतनी कामयाबी हासिल करना मामूली बात नहीं है। ऐसा […]

पलटू कुमार या भावी आशा ? Nitish Kumar : Undependable or Hope For Future

August 18, 2022 Chander Mohan 0

             नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटा खाया है। वह तो आया राम गया राम का रिकार्ड भी पीछे छोड़ गए। 2005 में वह पहली बार राष्ट्रीय जनता दल के ‘जंगल राज’ के विरोध में  मुख्यमंत्री बने थे। 2013 में उन्होंने भाजपा का साथ तब छोड़ दिया जब उस पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को 2014 के चुनाव में अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार प्रोजेक्ट किया था। मोदी के साथ उनकी स्पर्धा तब से चल रही है। दोनों आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक हैं और दोनों सत्ता के केन्द्रीयकरण में विश्वास रखतें हैं। पर मोदी अपनी विचारधारा के प्रति ईमानदार है जबकि नीतीश कुमार का कोई पक्का राजनीतिक धर्म नहीं लगता। 2015 में कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन बना कर […]

संविधान निर्माता बेवक़ूफ़ नही थे, Our Founding Fathers Had Right Perspective

September 16, 2021 Chander Mohan 0

समाजवादी का लिबास ओड़े हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात कर जातीय जनगणना की माँग की है। नीतीश कुमार के अनुसार प्रधानमंत्री ने उनकी माँग को ख़ारिज नही किया। इन लोगों का तर्क है कि जातीय जनगणना से विकास योजनाओं बनाने में मदद मिलेगी और ऐसी योजनाओं को बनाने का आधार केवल आर्थिक नही हो सकता क्योंकि जातीय पिछड़ापन अभी भी बड़ी समस्या है और इसका हल तब ही होगा जब पता चलेगा कि कौन सी जाति के कितने लोग है? तेजस्वी यादव का कहना था कि, ‘जातिगत जनगणना राष्ट्रीय हित में है और यह एतिहासिक तौर पर ग़रीबों के हक़ में क़दम होगा’। 1931 में अंग्रेज़ों के समय […]

देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ Bihar : Credit To Modi

November 12, 2020 Chander Mohan 0

बिहार के चुनाव की कहानी पाँच मल्लाहों की कहानी है। एक ने नाव को पार लगा दिया,नरेन्द्र मोदी। एक जिसने अपनी नाव डुबो दी,नीतीश कुमार। एक जिसने बराबर नाव खड़ी कर दी और किनारे से तनिक दूर रह गया, तेजस्वी यादव। एक, जो नाव को बीच समुंदर छोड़ भाग गया, राहुल गांधी। और एक जिसने दूसरों की ख़ातिर अपनी नाव बनाने से ही इंकार कर दिया और बेगानी शादी में अब्दुल्ला बन कर रह गया, चिराग़ पासवान ! सारे एग्जिट पोल और दिल्ली से गए पत्रकारों के अनुमानों को धत्ता बताते हुए बिहार के लोगों ने फिर एनडीए में विश्वास प्रकट कर दिया। यह परिणाम चौंका देने वाला है क्योंकि चुनाव, कोरोना संकट जिस दौरान करोड़ों ज़िन्दगियाँ अस्तवयस्त हुईं है, […]

देश की अनाथ औलाद (The Lost People of India)

May 14, 2020 Chander Mohan 0

प्रवासी मज़दूरों की त्रासदी ज़ारी है। महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नज़दीक रेल पटरी पर सोए 16 मज़दूरों को माल गाड़ी रौंद गई।चालक कल्पना नही कर सकता था की रेल पटरी पर भी कोई सो सकता है। लेकिन बात दूसरी है। कितनी मजबूरी थी कि थके हारे भूखे प्यासे पुलिस के डंडों से बचते यह सब रेल पटरी पर ही सो गए? पहले लॉकडाउन ने ज़िन्दगी पटरी से उतार दी अब पटरी पर आ रही रेल उनके चिथड़े कर निकल गई। लॉकडाउन के कारण कई सौ किलोमीटर दूर अपने अपने गाँव के लिए निकले 80 प्रवासी रास्ते में ही दम तोड़ चुकें हैं। आज़ादी के बाद का यह सबसे बड़ा पलायन है। समय पर लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में जाने बचाईं […]