मिस्टर वाड्रा के लिए मकान (A House for Mr. Vadra)

June 7, 2016 Chander Mohan 0

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि उन्होंने लोगों की ‘मिठाई खाना’ बंद कर दिया है। यह मानना पड़ेगा कि केन्द्रीय सरकार पर इन दो वर्षों में एक भी आरोप नहीं लगा। लेकिन सवाल दूसरा है। क्या सरकार भ्रष्टाचार के जो दूसरे बड़े मामले हैं उन्हें तार्किक अंत तक पहुंचाने के प्रति गंभीर है या दिलचस्पी केवल उनका राजनीतिक लाभ उठाने में ही है? मामला राबर्ट वाड्रा से भी जुड़ा है। चुनाव अभियान के दौरान भाजपा ने राबर्ट वाड्रा के जमीन घोटालों को बड़ा मुद्दा बनाया था। अब दो वर्ष हो गए। हमें बताया जा रहा है कि मामले की जांच हो रही है। कितनी जांच होनी है? जमीन हरियाणा तथा राजस्थान में खरीदी गई। अगर घपला हुआ है तो यहां […]

शेरनीजी, महात्मा मनमोहन और सेंट एंटनी (Sherniji, Mahatma Manmohan and Saint Antony)

May 10, 2016 Chander Mohan 0

कांग्रेस के कथित ‘लोकतंत्र बचाओ मार्च’ के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस कथन कि ‘कांग्रेस गंगा के समान है’, पर रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने लोकसभा में अपने जवाब में कहा कि ‘हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह गंगा जाती कहां है?’ मनोहर पार्रिकर का भाषण तर्क से भरा हुआ बढ़िया भाषण था पर मुझे उन्हें कहना है कि केवल यह ही नहीं देखना कि बहती गंगा गई किधर, उन्हें यह भी ढूंढना है कि गंगोत्री कौन है? रिश्वत जरूर उन्हें दी गई होगी जो निर्णय को प्रभावित कर सकते थे। उन्होंने अपने भाषण में बताया कि किस तरह जब अगस्ता को हेलीकाप्टर नहीं मिल रहा था तो सौदे की शर्तें व धाराएं बदली […]

Suit boot ki rajniti

May 19, 2015 Chander Mohan 0

सूट-बूट की राजनीति हमारी राजनीति किस तरह कई बार फिज़ूल बन जाती है यह ‘सूट-बूट’ के जुमले के लगातार प्रयोग से पता चलता है। विदेशों में 56 दिन के अज्ञातवास से लौटे राहुल गांधी को इस संसद अधिवेशन में बहुत आक्रामक अवतार में देखा गया। शायद 56 इंच और 44 सीटों से होश ठिकाने आ गई है। हाल ही हम ब्रिटेन चुनाव देख कर हटे हैं जहां पराजित दोनों नेताओं, एड मिलिबैंड तथा निक कलैग ने नैतिक जिम्मेवारी समझते हुए इस्तीफा दे दिया। गांधी परिवार ऐसी कुर्बानी में विश्वास क्यों नहीं रखता? उलटा राहुल तो भारत की खोज पर निकले हुए हैं। जैसे नकारात्मक कभी नरेन्द्र मोदी तथा अरविंद केजरीवाल थे, ऐसे ही राहुल गांधी भी कोशिश कर रहे हैं। […]