
किंग ओबामा से फरियाद
समाचार है कि एक अमेरिकी फोरंसिक विशेषज्ञ ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भेजे गए उस पत्र को असली करार दिया है जिसमें हमारे 65 सांसदों ने ओबामा से अनुरोध किया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीजा इंकार करने के निर्णय पर पुनर्विचार न किया जाए। सांसद मुहम्मद अदीब ने यह पत्र 21 जुलाई को ओबामा को फैक्स किया था। मोदी को 2005 में अमेरिका का वीजा मना किया गया था। उनके मौजूद वीजा को भी अमेरिका के उस कानून के अंतर्गत रद्द किया गया था जो उन विदेशी अधिकारियों को अमेरिकी वीजा के लिए अयोग्य करार देता है जो ‘धार्मिक आजादी के कठोर उल्लंघन के लिए जिम्मेवार हों या जिन्होंने ऐसा किया हो।’ उस वक्त इंग्लैंड तथा यूरोपियन यूनियन भी इस बहिष्कार में शामिल हुए थे लेकिन योरूप के देश अब बदल चुके हैं। पिछले साल अक्तूबर में इंग्लैंड ने मोदी से सुलह कर ली थी और जर्मनी के राजदूत ने मोदी को लम्बी मुलाकात के लिए बुलाया था जहां योरूपियन देशों के सभी राजदूत मौजूद थे। अमेरिका में कई व्यापारिक संगठन मोदी की नीतियों को लेकर उत्साहित हैं आखिर वह उन्हीं नीतियों पर चल रहे हैं जो अमेरिका को पसंद
है। अमेरिका में एक बड़ी लॉबी मोदी से सुलह की पक्षधर है पर अभी तक सरकार बदलने के लिए तैयार नहीं। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार तथा सांसदों से अपील की थी कि वह मोदी को वीजा दे दें।
गुजरात में दंगे 2002 में हुए थे मोदी का वीजा 2005 में रद्द किया गया। सवाल उठता है कि तीन साल अमेरिकी अंतर्रात्मा क्यों सोई रही? अगर उन्हें यह दंगे इतने तड़पा रहे थे तो तत्काल पाबंदी क्यों नहीं लगाई गई।? पर असली बात तो यह है कि अमेरिका हमारे मामले में दखल क्यों कर रहा है? किसने उन्हें यह अधिकार दिया है कि वह हवलदार बने।? क्या खुद अमेरिका का मानवीय अधिकारों के मामले में रिकार्ड हमारे सामने नहीं है।? चाहे हिरोशिमा नागासाकी पर एटम बम गिराना हो, या वियतनाम को कुचलने का असफल प्रयास हो, या इराक को तबाह करने का सफल प्रयास हो, या गोयंतनामो बे जेल का मामला हो, या दुनिया भर के लोगों की जासूसी करने का मामला हो, उनके टैलिफोन टेप करने तथा उनके ई-मेल पढ़ने का मामला हो जिसके लिए पहले जूलियन असांज और अब एडवर्ड स्नोडन का उत्पीड़न किया गया है, अमेरिका का रिकार्ड शोचनीय है। कितने दमनकारी तानाशाहों को अमेरिका ने समर्थन दिया,? कई तो हमारे पड़ोस में ही थे। अब भी उनके ड्रोन हमलों में कई बेकसूर पाकिस्तानी मारे जा रहे हैं। क्योंकि वह खुद सुपरपॉवर है इसलिए उन्हें सब माफ है पर दूसरों को वे दबाते रहते हैं।
लेकिन यह अमेरिका का नजरिया है। शर्मनाक तो हमारे उन सांसदों की पहल है जो अमेरिका की हमारे मामलों में दखल आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका की सर्वोच्चता कैसे स्वीकार कर ली? यह तो वही पुरानी मानसिकता है जो अंग्रेजों के किंग को हमारे मामले में दखल के लिए आमंत्रित करती थी। आज यह सांसद किंग ओबामा से फरियाद कर रहे हैं कि हमारे मामले में घुसपैंठ करो! खुद कई अमेरिकी भी हैरान हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, ‘यह हैरान करने वाली बात है कि भारतीय कानून बनाने वाले अमेरिका को अपील कर रहे हैं कि वे उनके आतंरिक मामले में दखल दें।’ ये वे ही लोग हैं जो उस वक्त अमेरिका को गालियां निकालते हैं जब अमेरिकी हवाई अड्डों पर शाहरुख खान की तलाशी ली जाती है और घंटो बैठा कर पूछताछ की जाती है। तब अमेरिका शैतान है, अब अमेरिका महापुरुष बन गया क्योंकि उसने नरेंद्र मोदी का वीजा रोक दिया? नरेंद्र मोदी देश के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। तीन बार वे चुनाव जीत चुके हैं। उनके खिलाफ अमेरिका को शिकायत करते हुए इन्हें शर्म नहीं आई,? हम कोई गुलाम देश तो हैं नहीं। अगर मोदी ने कुछ गलत किया है तो हमारा कानून उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा पर अभी तक उनके खिलाफ एक एफआईआर नहीं है। कोई भी आयोग या जांच आयोग उन्हें दोषी नहीं ठहरा सका फिर अमेरिका की दखल क्यों आमंत्रित की जा रही है।? जो कानून बनाने वाले सांसद हैं उन्हें अपने कानून पर विश्वास नहीं है, अमेरिकी कानून पर है,? इस पत्र के पीछे एक मुस्लिम सांसद मुहम्मद अदीब हैं। उनसे मुझे पूछना है कि क्या उन्होंने अमेरिका को अपना माईबाप स्वीकार कर लिया कि वे ओबामा से गुहार कर रहे हैं? क्या अमेरिका जो दुनिया भर में कर रहा है उससे वे सहमत हैं? सीताराम येचुरी जिनके दस्तखत भी इस पत्र पर बताए जाते हैं, इसका प्रतिवाद कर चुके हैं कि उन्होंने किसी ऐसे पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। उनका कहना है कि ‘मुझे ओबामा को पत्र लिखने की क्या जरूरत है? हम देश के अंदरुनी मामलों में किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करते।’ कई और सांसद कह रहे हैं कि उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं तो कुछ मुकरने की कोशिश कर रहे हैं। जिनके हस्ताक्षर हैं वे अगर मगर कर रहे हैं। कईयों को ‘याद नहीं’, तो कई मासूमों का कहना है कि धोखे से उनके दस्तखत करवाए गए। लेकिन कई मुस्लिम सांसदों के हस्ताक्षर उस पत्र पर हैं। ये वे ही लोग हैं जो अमेरिका की कथित मुस्लिम विरोधी नीतियों को लेकर उसे दिन रात कोसते रहते हैं। अगर अमेरिका मोदी को वीजा न देने की नीति पर कायम रहता है तो क्या वह पाक साफ हो जाएंगे,? गुजरात के दंगे हमारा अपना मामला है। हमारी अदालतें इसे देख रही हैं। ‘ओबामाजी’ को इससे बड़ी अदालत क्यों माना जा रहा है?
जिन सांसदों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उन्होंने देश का अपमान किया है, हमारी न्याय व्यवस्था का अपमान किया है। अफसोस है कि हमारे कुछ सांसदों का स्तर इस तरह गिर रहा है। राज्यसभा अध्यक्ष तथा लोकसभाध्यक्ष को इस मामले की जांच करवानी चाहिए कि इन सांसदों ने इस तरह देश का मजाक क्यों बनवाया? इस शर्मनाक प्रयास की जितनी भी निंदा हो सके वह कम है। स्मरण रहे कि भारत सरकार अमेरिका से नरेंद्र मोदी का वीजा रोकने के लिए विरोध जता चुकी है, खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस कदम की आलोचना की थी। इसी के साथ मैं राजनाथ सिंह की ‘अपील’ कि अमेरिका मोदी को वीजा दें से भी सहमत नहीं हूं। राजनाथ सिंह आम सांसद नहीं हैं, वे देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के अध्यक्ष हैं। यह वह पार्टी है जो कल को सत्ता में आ सकती है। एक वीजा के लिए याचना कर उन्होंने अपने पद की गरिमा से समझौता किया है। मुरली मनोहर जोशी ने सही कहा है कि वीजा देना या न देना उनका मामला है उन्हें अपील नहीं करनी चाहिए थी। अगर अमेरिका नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं देगा तो भी क्या आफत आ जाएगी? कल को अगर मोदी देश के प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो क्या अमेरिका यह कहेगा कि हम उनसे बात नहीं करेंगे?
किंग ओबामा से फरियाद,
उल्टा अमेरिका , भारत ओ समझाए(उल्टा चोर कोतवाल को डांटे)| दे कांट स्टॉप इंटर फेरिंग |