बाबा रामदेव का अपमान
बाबा रामदेव का योग को लेकर देश-विदेश में भारी योगदान है। उनका अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व भी है इसलिए जिस तरह लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उनका अपमान किया गया उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। ये पहली बार तो वह लंदन नहीं गए। उनका ब्रिटेन में कहीं एक छोटा टापू भी है लेकिन लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उन्हें बार-बार अपमानित किया गया। जब वे विमान से उतरे तो छ: घंटे उनसे पूछताछ की गई। उसी के बाद उन्हें जाने दिया गया। अगले दिन फिर बुलाया गया और आठ घंटे पूछताछ की गई। अर्थात् कुल लगभग 14 घंटे उन्हें हवाई अड्डे पर बैठा कर पूछताछ की गई। इतनी लम्बी पूछताछ का मतलब क्या है? वे कोई आतंकी तो हैं नहीं कि इतनी पूछताछ की जरूरत हो। वे नियमित टूरिस्ट वीज़ा पर वहां गए थे। अगर वीज़ा सही नहीं था तो उन्हें वापिस भेज देना चाहिए था। वीज़ा भी दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिशन ने जारी किया था। यह मैं मानने को तैयार नहीं कि ब्रिटिश अधिकारियों को उनके बारे जानकारी नहीं थी। योग के प्रति उनके योगदान की दुनिया भर को जानकारी है। विदेशों में उनके लाखों अनुयायी हैं। यह जानकारी तो गूगल से हासिल की जा सकती है फिर इतनी पूछताछ की क्या जरूरत थी? सिर्फ यह कि ब्रिटिश अधिकारी एक भारतीय योग गुरू को नीचा दिखाना चाहते थे? बाबा रामदेव का कहना है कि पहले उन्हें बताया नहीं गया कि उन्हें क्यों रोका गया है बाद में बताया गया कि उनके खिलाफ रैडअलर्ट जारी किया गया है। पर कहां? भारत में तो कहीं रैडअलर्ट जारी नहीं किया गया फिर कहां किया गया? बाबा रामदेव का आरोप है कि ऐसा सोनिया गांधी के कहने पर किया गया। मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं। अंग्रेज वैसे ही कभी-कभी बद-दिमाग हो जाते हैं। सोनिया गांधी की प्रेरणा की जरूर नहीं! लेकिन इस मामले में भारत सरकार की खामोशी अवश्य सवाल खड़े करती है। भारत सरकार को तो तत्काल दखल देना चाहिए था लेकिन कुछ नहीं किया गया।
विदेशी हवाई अड्डे पर हमारे प्रमुख लोगों के साथ बदसलूकी अब आम हो गई है। हम यह बर्दाश्त क्यों करते हैं? अमेरिकी हवाई अड्डों पर भी बार-बार ऐसा हो चुका है। जार्ज फर्नांडीस, एपीजे अब्दुल कलाम या शाहरुख खान जैसे विशिष्ट लोग उनके पूर्वाग्रह या द्वेष या अज्ञान का अक्सर शिकार होते रहे हैं। ऐसे मामलों में हमारे दूतावास भी निष्क्रिय रहते हैं। लंदन स्थित हमारे उच्चायोग को बाबा रामदेव से बदसलूकी का मामला जोर से उठाना चाहिए था। लेकिन राजनीतिक कारणों से दूतावास खामोश रहा जबकि हर भारतीय पासपोर्ट धारक की मदद करना उनका धर्म है। अगर अपने लोगों के साथ ऐसी बदसलूकी बंद करवानी है तो भारत सरकार तथा उच्चायोग तथा दूतावासों को सक्रिय तथा संवेदनशील होना चाहिए। यह नहीं होना चाहिए कि हम उन्हें अतिथि मान कर उनका यहां सत्कार करें और वे हमारे लोगों का अपमान करते जाएं। इस बीच साऊथहाल तथा लैस्टर जैसे ब्रिटिश शहरों में बाबा रामदेव के योग शिविर खचाखच भरे जा रहे हैं। इसी से ब्रिटिश सरकार की आंखे खुल जानी चाहिए। पर यह होगा नहीं। उनकी पुरानी मानसिकता नहीं गई कि वे गोरे हैं और हमारा समाज उनसे निम्न है। भारतीय मूल की लडक़ी के मिस अमेरिका चुने जाने पर उसे जो नफरत भरे संदेश मिले हैं वे भी यही मानसिकता दर्शाते हैं। उन्हें हमारा पैसा पसंद है, हम नहीं। यह मानसिकता सख्ती से दरुस्त करने की जरूरत है।
बाबा रामदेव का अपमान,
अंग्रेजों
की मानसिकता ही ऐसी है की वह किसी कामनवेल्थ देश के नागरिक को आगे बढ़ते देख ही नही सकते
..उन्हें खास कर क ब्वोवं चमड़ी वालों को तंग करके सैदेस्टिक आनंद आता है …..गोर अक्सर
दाढ़ी बडाये हुए लोगों को अरबी या मुसलमान मान कर तंग करते हैं….या फिर जिनके नाम मुस्लिम
हों उन्हें भी तंग करते हैं..रामदेव जी क साथ बदसलूकी हुई है …अमरीका को माफ़ी मंगनी चाहिए ….यह तो हो ही नही सकता की गोरे शाहरुख़ खान…कलाम साहिब…या रामदेव को न जानते हों
…अगर गूगल एअर्थ क द्वारा अमरीका ..धरती के हर हिस्से की तस्वीर ले सकता है ..तो भारत की दमदार हस्तियों की जानकारी बी रख सकता है
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