दो पंजाब

दो पंजाब

पाकिस्तान पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के छोटे भाई हैं और उनकी पाकिस्तान मुस्लिम लीग में नम्बर दो हैं, आजकल भारत की यात्रा पर हैं। दोनों पंजाब में बहुत सांझ है। धर्म को छोड़  कर लगभग हर चीज एक जैसी है, भाषा, खान-पान, रहन-सहन काफी मिलता है। इसीलिए भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो पाकिस्तान के पंजाब के बारे बहुत रोमानी हैं, भावना में बहने को तैयार हैं। हमारे प्रधानमंत्री भी इनमें शामिल हैं। वे पाकिस्तान की यात्रा करना चाहते हैं पर हालात ऐसे हैं कि जा नहीं सके। पंजाब के नेता भी पाकिस्तानी पंजाब के बारे बहुत भावनात्मक हैं। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी दोस्ती का बहुत प्रयास किया था अब प्रकाश सिंह बादल तथा सुखबीर बादल भी कर रहे हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती सब चाहते हैं। दोनों देशों को आपसी टकराव से हट कर ध्यान विकास पर केंद्रित करना चाहिए। लेकिन भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की हकीकत क्या है? एक, पाकिस्तान में जेहादी कारखाना अभी भी पूरी तरह से सक्रिय है। यह वही कारखाना है जिसने कभी संसद पर हमला करवाने के लिए तो कभी हमारे बाज़ारों पर हमला करवाने के लिए तो कभी हमारे मंदिरों पर हमला करवाने के लिए उधर से आतंकवादी भेजे हैं। अंतिम हमला मुंबई पर था जहां कराची से आए 10 आतंकवादियों ने हमारे सबसे बड़े शहर में 162 लोगों की हत्या कर दी थी। अब भी पाकिस्तान से हमले की आशंका बनी रहती है जिसकी चेतावनी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बार-बार दे चुके हैं। शाहबाज़ शरीफ दोस्ती की बात तो करते हैं लेकिन उन्हें यह तो बताना चाहिए कि वे इस जेहादी कारखाने को बंद क्यों नहीं करते? इस मामले में शाहबाज़ शरीफ विशेष तौर पर जवाबदेह हैं क्योंकि इस वक्त जेहादियों का केंद्र उनका पंजाब है जिसके वे मुख्यमंत्री हैं। विशेषतौर पर लाहौर के नजदीक मुरीदके हाफिज सईद का केंद्र है जहां से वे भारत विरोधी गतिविधियां संचालित करता है। हाफिज़ मुहम्मद सईद मुंबई पर हमले का मुख्य अपराधी है। शाहबाज़ शरीफ को यह जवाब देना चाहिए कि अब तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? न केवल कार्रवाई नहीं की गई बल्कि पाकिस्तान पंजाब की सरकार ने उसकी ‘समाज कल्याण की गतिविधियों’ के लिए उसे इस साल 60 करोड़ रुपए भी दिए हैं। ये पैसे आखिर में किस के खिलाफ खर्च होंगे? और क्या दोनों देशों के बीच दोस्ती उस वक्त सम्भव है जब पाकिस्तान की ज़मीन से आतंकवादी हमारे खिलाफ साज़िशों में लगे रहते हैं?

बिक्रमजीत सिंह मंजीठिया का कहना था कि सुखबीर बादल की पिछले साल पाकिस्तान की यात्रा से संबंध सामान्य करने की तरफ बड़ा कदम उठाया गया है। लेकिन इस पिछले एक साल में तो नियंत्रण रेखा तथा सीमा पर 2003 के बाद पहली बार इतनी अधिक फायरिंग हुई हैं। वे हमारे सैनिकों के सर काट कर भी ले गए। फिर क्या सुधार हुआ है? सच्चाई है कि पाकिस्तान अपना जेहादी कारखाना बंद नहीं करना चाहता ताकि भारत को दबाव में रखा जाए। शहबाज़ शरीफ के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था कि हाफिज़ सईद की गतिविधियों पर लगाम क्यों नहीं लगाया गया? लंगड़ा जवाब है कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद तथा मिलिटैंसी का शिकार है। यह बात गलत नहीं लेकिन यह आतंकवादी उनके अपने पालतू हैं जिन्हें उन्होंने भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए तैयार किया था और अब पाकिस्तान अपने जाल में खुद फंसा है। हमने तो उधर आतंकवादी नहीं भेजे।

दूसरा, पाकिस्तान की शरारत केवल मिलिटैंसी तक ही सीमित नहीं। उधर से धड़ाधड़ इधर ड्रग्स भेजे जा रहे हैं। यह संभव नहीं कि पाकिस्तान पंजाब की सरकार को इन लोगों के बारे जानकारी न हो जो वहां ड्रग्स का धंधा करते हैं। प्रयास हमारी जवानी को तबाह करने का है। नशा धकेलना और दोस्ती का हाथ बढ़ाना दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं। हमारे जो नौजवान ड्रग्स के कारण बर्बाद हो गए हैं उनके प्रति पंजाब सरकार का यह दायित्व बनता है कि यह मामला शाहबाज़ से जोरशोर से उठाया जाए। तीसरा, वे हमसे 500 मैगावाट बिजली भी खरीदना चाहते हैं। लेकिन उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने अभी तक हमें  Most Favoured Nation का दर्जा नहीं दिया जो हम कई साल पहले दे चुके हैं। एक तरफ वे व्यापार तथा मदद चाहते हैं तो दूसरी तरफ वे बराबर दर्जा भी नहीं देना चाहते। सुखबीर बादल उन्हें 500 मेगावाट बिजली देना चाहते हैं। पंजाब के पास खुद अभी पूरी बिजली नहीं है और दूसरा, क्या हमारी बिजली से हाफिज सईद के मुरीदके मुख्यालय में रोशनी होगी? नवाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मसला उठा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने चौथे युद्ध की धमकी भी दी है। अर्थात् अगर पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करने हैं तो यह रोमानी चश्मा हटा लेना चाहिए और आंसू पौंछ हकीकत को देखना चाहिए।  अब तो वहां हमारी फिल्मों तथा टीवी शो पर भी पाबंदी लगा दी गई है। अर्थात् पाकिस्तान नहीं बदला और न ही बदलेगा। वे बर्बाद हो जाएंगे, और हो भी रहे हैं, लेकिन अंदर से भारत दुश्मनी नहीं छोड़ेंगे। इतिहास हमें यहां सबक सिखाता है। हम पर निर्भर करता है कि हम कोई सबक सीखना चाहें या न सीखना चाहें।

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Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.