इटली की मिलान अदालत द्वारा भारत के साथ 3700 करोड़ रुपए के अगस्ता वैस्टलैंड हैलिकाप्टर के सौदे में ‘करप्शन’ की पुष्टि तथा दोषियों को सजा के बाद अब इसका विस्फोट भारत में हो रहा है। अदालत का निष्कर्ष है कि 385 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई। सोनिया गांधी ने सवाल किया कि अगर कुछ गलत हुआ है तो सरकार दो सालों में इसका पता क्यों नहीं लगा सकी? बिल्कुल जायज़ सवाल है। कांग्रेस के नेतृत्व को जनता की अदालत के कटघरे में लटकता छोडऩे में सरकार की अधिक दिलचस्पी लगती है। राबर्ट वाड्रा के मामले में भी कहा गया कि हम कुछ ही महीने में ‘‘दामादश्री’’ के घोटाले की पोल खोल देंगे। अभी तक कुछ नहीं हुआ। लेकिन क्योंकि इस मामले में सुब्रह्मण्यम स्वामी कूद पड़े हैं इसलिए आशा है कि वह मामला ठंडा होने नहीं देंगे। अभी तक जो तथ्य सामने आए हैं वह यह हैं,
* इटली की अदालत ने कहा है कि इस सौदे में रिश्वत दी गई। जिन्होंने रिश्वत दी वह तो वहां पकड़े गए लेकिन जिन्होंने यहां रिश्वत ली वह कौन और कहां हैं? * अदालत के दस्तावेज में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, अहमद पटेल तथा आस्कर फर्नांडीस के नाम लिए गए हैं लेकिन यह नहीं कहा गया कि सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह ने रिश्वत ली है। * सोनिया का दुर्भाग्य है, जो बड़े विवाद का मुख्य कारण है, कहा गया है कि भारत की तरफ से यह सौदा करवाने में उनकी अहम भूमिका थी। उन्हें DRIVING FORCE अर्थात चलाने वाली ताकत कहा है। सोनिया गांधी की इतनी असामान्य दिलचस्पी इस सौदे में क्यों थी जबकि वह तो सरकार में नहीं थी? * हैलिकाप्टरों की अधिकतम फ्लाईंग हाईट 6000 मीटर से कम कर 4500 मीटर कर दी थी। यह हाईट तथा दूसरी स्पैसिफिकेशन कम करने की वजह से ही अगस्ता वैस्टलैंड हैलिकाप्टर को कांट्रैक्ट मिला नहीं तो वह 4500 मीटर से ऊंचा नहीं उड़ा सकता। अगस्ता वैस्टलैंड को शामिल करने के लिए मापदंड कम क्यों और किसके कहने पर किए गए? * एयर मार्शल त्यागी का कहना है कि अगर मैं दोषी हूं तो सारी सरकार दोषी है क्योंकि यह सामूहिक फैसला था! * इटली की अदालत की शिकायत है कि यूपीए सरकार ने उसे जरूरी दस्तावेज नहीं दिए। भारत सरकार ने सहयोग क्यों नहीं किया था? * पूर्व रक्षामंत्री ए.के एंटनी का कहना है कि उन्होंने यह सौदा रद्द करवा दिया क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार की सूचना मिली थी लेकिन उन्होंने इस सूचना पर आगे कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? सच्चाई तक पहुंचने में जांच एजेंसियों को किसने रोका?
अगर रिश्वत देने वाला है तो रिश्वत लेने वाला भी होना चाहिए। कांग्रेस के लिए यह मामला 2जी, या सीडब्ल्यूजी, या कोयला ब्लॉक आबंटन से भी अधिक गंभीर है क्योंकि निशाने पर पार्टी का दिल अर्थात गांधी परिवार है।
सोनिया गांधी का विशेष दुर्भाग्य है कि इस घोटाले का ‘इटैलियन कनैक्शन’ है। जैसे बोफोर्स का भी था। इसलिए सोनिया गांधी का जिक्र होना स्वभाविक है विशेषतौर पर जब बताया गया है कि इस सौदे को करवाने में उन्होंने असामान्य दिलचस्पी दिखाई थी। ए.के. एंटनी का दावा था कि उनकी सरकार ने फिनमैकेनिका तथा अगस्ता वेस्टलैंड को ब्लैकलिस्ट किया था जबकि इसका कोई प्रमाण नहीं है। एंटनी ने यह गलत बोल कर और समस्या खड़ी की है।
संसद में जब से इटली का नाम लिया जाता है तो कांग्रेस के लोग भड़क उठते हैं। इटली कांग्रेस पार्टी के लिए ‘सेकरेड कॉव’ कैसे हो गई? इटली सोनिया का मायका है कांग्रेस पार्टी का तो नहीं। बोफोर्स के मामले में सच्चाई पर लगातार पर्दा डाला गया था जबकि क्वात्रोच्चि राजीव-सोनिया का अभिन्न इतालवी मित्र था जिसे भारत से भागने तथा विदेशों में उसके बंद खातों को खुलवाने में भारत सरकार ने अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए अगर अब लोग सोनिया के इतालवी कनैक्शन पर शक करें तो स्वभाविक है। उस वक्त तो क्योंकि उनकी सरकार थी इसलिए मामले पर सरकारी पर्दा डाल दिया गया। अब ऐसा नहीं हो सकता।
अगस्ता वेस्टलैड घोटाले ने कांग्रेस पार्टी की चूलें हिला दी हैं क्योंकि मामला इटली से जुड़ा हुआ है। चार बार ‘सिनोरा गांधी’ का नाम लिया गया है। सोनिया गांधी ने कहा है कि ‘‘मैं किसी से नहीं डरती’’ और उनके चरित्र हनन की कोशिश हो रही है। जब नैशनल हैरालड का मामला उठा था तब भी उनका लगभग यही कहना था कि ‘‘मैं इंदिरा गांधी की बहू हूं, मैं नहीं डरती।’’ पर मामला उनके डरने या न डरने का नहीं है, मामला इस घोटाले की सच्चाई जानने का है। अगर वह कानून से नहीं डरती, संविधान से नहीं डरती, कम से कम उन्हें लोकराय से जरूर डरना चाहिए। लोकराय बेरहम है। याद रखिए कि लोकराय ने उनके पति राजीव गांधी का किस तरह बोफोर्स के कारण हुलिया बिगाड़ा था?
इतिहास खुद को दोहराता नज़र आ रहा है। बोफोर्स का भूत फिर जिंदा हो गया है। सोनिया गांधी को बोफोर्स की सजा लगभग 30 साल के बाद अब मिल रही है क्योंकि दोनों में इटैलियन कनैक्शन है। एक बात और। पिछली सरकार के समय कितने घोटाले हुए हैं? 2जी, सीडब्ल्यूजी, कोयला ब्लाक आबंटन। और भी कई। और अब यह हेलीकाप्टर घोटाला। देश की छवि का कबाड़ा कर दिया इन लोगों ने। महात्मा मनमोहन सिंह भी क्या करते रहे?
क्या सच्चाई सामने आएगी? इस वक्त तक सरकार का रवैया WILLING TO WOUND AFRAID TO STRIKE जैसा है अर्थात् हमला करने से घबराते हैं इसलिए घायल करने के ही इच्छुक लगते हैं। इतालवी जांचकर्ताओं ने दलालों का जो वार्तालाप रिकार्ड किया है उसमें उन्होंने भारतीय जांचकर्ताओं को ‘मोरौन’ अर्थात् मूर्ख कहा है जिन्हें पैसा ढूंढने में वर्षों लग जाएंगे। हम उन्हें सही सिद्ध करने में क्यों लगे हुए हैं? यहां केवल हंगामा तथा नौटंकी ही होगा या कुछ ठोस भी सामने आएगा?
अब तो यह भी समाचार है कि भारत में मीडिया को मैनेज करने पर 50 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। मीडिया में भी कौन लोग थे जो इस तरह खरीदे गए थे? लेकिन सबसे चिंताजनक रक्षा सम्बन्धी सौदों में भ्रष्टाचार है क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। नज़र आता है कि रक्षा मंत्रालय में भी सेंध मारी गई।
अंत में : एक प्रमुख टीवी चैनल पर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि सोनिया गांधी के दो विदेशी बैंकों, जिनेवा तथा ज्यूरिख में खाते हैं। सोनिया गांधी ने इसका जवाब नहीं दिया। इस गंभीर आरोप का जवाब आना चाहिए। क्या स्वामी सच बोल रहे हैं या यह भी वीपी सिंह जैसी नौटंकी ही है जिनका कहना था कि उनकी जेब में राजीव गांधी के स्विस अकाउंट का नम्बर है। पर यह नम्बर जेब से कभी बाहर नहीं आया। सोनिया गांधी स्वामी पर मानहानि का मुकद्दमा क्यों नहीं करती ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए?