जब से अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी भारत की छ: दिन की यात्रा कर लौटें हैं पाकिस्तान बहुत छटपटा रहा है। काबुल और कंधार पर हवाई हमले हो चुकें हैं और सीमा पर झड़पों में दोनों तरफ़ का बहुत नुक़सान हुआ है। पाकिस्तान के तड़पने का कारण ढूँढना भी मुश्किल नहीं है। तालिबान उनकी पैदायश है। उसे पाकिस्तान के उत्तर पूर्व के मदरसों में तैयार किया गया। पाकिस्तान उन्हें अपने लड़के कहता रहा पर यह लड़के अब बड़े हो चुकें हैं, आज़ाद हो चुकें हैं और अपने पूर्व मेहरबान के खिलाफ लड़ाकू बन चुकें हैं। उन्होंने पाकिस्तान की कठपुतली बनने से इंकार कर दिया है। अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत यूनियन और बाद में अमेरिका को भगाने में पाकिस्तान ने तालिबान की बहुत मदद की थी। 2021 में जब अमेरिका वहाँ से निकला तो पाकिस्तान बम बम था। काबुल में ‘इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफ़ग़ानिस्तान’ की स्थापना के बाद सबसे पहले पहुँचने वालों में पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई का प्रमुख था। तब पाकिस्तान समझने लगा था कि उसे ‘स्ट्रैटेजिक डैप्थ’ अर्थात् रणनीतिक गहराई मिल गई। सोचा था कि वह तालिबान का इस्तेमाल भारत के विरूद्ध करेगा। इंग्लैंड के अख़बार द इकॉनिमिस्ट ने भी तब लिखा था कि, “अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का क़ब्ज़ा भारत के लिए रणनीतिक धक्का और तीखी मानहानि है”।
पर अब उसी तालिबान के विदेश मंत्री भारत का सफल दौरा कर लौटें है। भारत सरकार ने भी घोषणा कर दी कि काबुल में हमारे टैंकनिकल मिशन को अपग्रेड कर दूतावास का दर्जा दिया जा रहा है। मुत्तकी के भारत आगमन के कुछ घंटों के बाद ही पाकिस्तान ने तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के काबुल ठिकानों पर हमले कर दिए जिसका जवाब तालिबान ने पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर हमले कर दिए। दोनों के बीच तीखी सैनिक भिड़न्त हुई जिसमें कई सौ लोग मारे गए। दोहा में दोनों तरफ़ से शान्ति वार्ता के बाद युद्ध विराम हो गया पर देखना है कि यह कितना क़ायम रहता है। दिलचस्प है कि जिस तालिबान को पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता था उसी पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खव्वाजा आसिफ़ आरोप लगा रहें हैं कि यह “प्राक्सी ऑफ इंडिया” अर्थात् भारत का प्रतिनिधि है। खव्वाजा आसिफ़ की शिकायत है कि “तालिबान के सारे फ़ैसले दिल्ली में बन कर आ रहें हैं। मुत्तकी साहिब एक हफ़्ता वहाँ बैठे रहे। क्या प्लान ले कर आए?”
अर्थात् पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रिश्तों का पहिया पूरा घूम गया है। पाकिस्तान तालिबान पर यह आरोप भी लगा रहा है कि अफ़ग़ानिस्तान टीटीपी का इस्तेमाल पाकिस्तान के अंदर आतंकी घटनाओं के लिए कर रहा है। अपने विदेश नीति के लक्ष्य पूरे करने के लिए पाकिस्तान ने आतंक का सहारा लिया था पर वही हथियार आज उनके ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा रहा है। हिलेरी क्लिंटन का कथन जो उन्होंने पाकिस्तान के बारे कहा था याद आता है कि अगर आप साँप पालोगे तो ज़रूरी नहीं कि वह पड़ोसियों को ही डँसेंगे, वह आप को भी डँस सकते हैं। पाकिस्तान के अंदर आतंकी हमलों के कारण गम्भीर संकट खड़ा हो रहा है। कट्टरवादी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहा है। वर्तमान सरकार को इज़राइल समर्थक समझा जा रहा है। अक्तूबर के मध्य में पाकिस्तान की सेना ने लाहौर से 30 किलोमीटर दूर मुरीदके पर हमला कर दिया। टीएलपी का दावा है कि कई सौ लोग मारे गए। कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सेना द्वारा नरसंहार किया गया। कई वीडियो में सड़कों पर बिखरी लाशें नज़र आती है। संख्या कुछ भी हो सेना और रेंजरस द्वारा अपने ही लोगों पर हमला कोई सामान्य घटना नहीं है। सेना का दावा है कि ‘कई सौ आतंकवादी’ पकड़े गए। अगर सचमुच देश के अंदर आतंकियों की इतनी संख्या है तो पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को भारी ख़तरा है। पाकिस्तान को कई जगहों पर विरोध और बग़ावत का सामना करना पड़ रहा है।
अफ़ग़ानिस्तान का नेतृत्व सदा ही पाकिस्तान के इरादों के प्रति ख़बरदार रहा है। तालिबान के एक संस्थापक मुल्ला अब्दुल सलम ज़ैफ ने अपनी जीवनी में पाकिस्तान के बारे लिखा है कि वह “दो मुह वाला देश है…आईएसआई अफ़ग़ानिस्तान में उस तरह फैल गई है जैसे इंसान के शरीर में कैंसर फैलता है”। दोनो के बीच तनाव की भी पृष्ठभूमि है जिसके केन्द्र में दोनों इस्लामी देशों का इतिहास है। अफ़ग़ानों ने कभी भी अंग्रेजों द्वारा दोनों देशों के बीच खींची गई डूरंड रेखा को स्वीकार नहीं किया। अफ़ग़ानिस्तान में हमारे पूर्व राजदूत विवेक काटजू के अनुसार पठान जो दक्षिणी और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान तथा उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में फैले हुए हैं, 2640 किलोमीटर डूरंड सीमा को “एतिहासिक ज़ख़्म” मानते हैं। जो विभाजन अंग्रेजों ने ज़बरदस्ती करवाया का मतलब था कि पठान भी विभाजित हो गए। बड़ी संख्या अफ़ग़ानिस्तान में है पर पाकिस्तान में भी पठानों की संख्या मामूली नहीं हैं जिनमें फैला असंतोष वहाँ अस्थिरता पैदा कर रहा है।