पंजाब का छठा दरिया

January 15, 2014 Chander Mohan 0

 पंजाब का छठा दरिया पंजाब के पांच दरिया तो दोनों पंजाब में बंट गए है लेकिन अब दोनों में एक छठा दरिया भी शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत तो पाकिस्तान के पंजाब में होती है पर इसका बहाव हमारे पंजाब में भारी तबाही मचा रहा है। मेरा अभिप्राय नशे के दरिया से है जो पंजाब की जवानी को बर्बाद कर रहा है। अंतराष्ट्रीय ड्रग तस्कर तथा बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला तथा उसके साथी जगजीत सिंह चाहल, सरबजीत साबी तथा बिट्टू औलख की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में अब उंगली कई प्रभावशाली लोगों की तरफ उठ रही हैं। जगदीश भोला ने कहा है कि वह तो मामूली आदमी है ‘किंगपिन’ और ‘मास्टरमाईंड’ प्रदेश के बड़े नेता है। भोला ने राजस्व […]

बुजुर्ग फालतू नहीं हैं!

January 7, 2014 Chander Mohan 2

बुजुर्ग फालतू नहीं हैं! उस दिन बुजुर्ग दिवस था। मैं आंखें चैकअप करवाने हस्पताल गया तो वहां एक बुजुर्ग भी थे जो नर्स से अपने आप्रेशन के बारे जानकारी प्राप्त कर रहे थे। जब नर्स ने बताया कि मोतियाबिंद के आप्रेशन के दो घंटे के बाद वे घर जा सकते हैं तो वे सज्जन निवेदन करने लगे कि ‘क्या मैं यहां दो दिन और नहीं रह सकता, घर में मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं।’ मुझे मालूम नहीं कि उस सज्जन के परिवार की क्या स्थिति है, बच्चे हैं या नहीं, लेकिन उनके शब्द ‘घर में मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं’, आज तक मुझे परेशान करते रहे हैं। उस सज्जन की क्या मजबूरी है? और उनके जैसे और कितने […]

वक़्त वक़्त की बात है

January 4, 2014 Chander Mohan 0

वक्त वक्त की बात है! किसे याद है कि कभी नीतीश कुमार भी अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे? उस वक्त उनकी छवि एक विकास पुरुष की थी लेकिन एक के बाद एक गलत कदम उठाने के बाद उनकी हालत तो न घर के रहे न घाट वाली बनती जा रही है। वक्त का पहिया इतना उलटा चला कि जिस व्यक्ति को मनाने के लिए भाजपा ने बहुत प्रयास किया था और जिसे अपने खेमे में लाने के लिए कांग्रेस बहुत उतावली थी वह राजनीति में एक प्रकार से दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है और खुद स्वीकार कर रहा है कि ‘वक्त वक्त की बात है!’ नीतीश कुमार का पतन उस वक्त शुरू हो गया था जब अनावश्यक […]

मेरा हक़ है फसले बहार पर !

December 31, 2013 Chander Mohan 1

मेरा हक है फसले बहार पर! आसाराम बापू, तरुण तेजपाल तथा जस्टिस गांगुली से घायल 2013 अपने अंतिम माह में देश को रोमांचित  और आशावादी बना गया। ‘आप’ की जीत में हम राजनीति में आदर्शवाद की वापसी देख रहे हैं। गांधी जी का यह कथन याद आता है कि ‘‘नैतिकता के बिना राजनीति से दूर ही रहना चाहिए।’’ आदर्शवाद व्यावहारिक नहीं रहता क्योंकि यथार्थ बहुत कड़वा, बदसूरत और गंदा होता है लेकिन यहां इतना कड़वा, बदसूरत और गंदा है कि शुद्धि की बहुत जरूरत है। संभावना नहीं कि अरविंद केजरीवाल का परीक्षण अधिक सफल रहेगा क्योंकि निहिथ स्वार्थ सफल नहीं होने देंगे लेकिन किसी ने यह आस तो जगाई है कि ‘वो सुबह कभी तो आएगी!’ कि मूलभूत राजनैतिक

अब बस करनी चाहिए

December 27, 2013 Chander Mohan 0

अब बस करनी चाहिए अहमदाबाद की एक अदालत ने गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की उस कलोज़र रिपोर्ट पर भी अपनी मुहर लगा दी जिसमें 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी। अदालत का कहना है कि दंगों को रोकने के लिए सेना को बुलाने में गुजरात सरकार ने कोई लापरवाही या देरी नहीं की। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं कि दंगों के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों से कहा था कि हिन्दुओं को अपना बदला लेने दो। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं कि साबरमती एक्सप्रैस में जल […]

खास और आम

December 25, 2013 Chander Mohan 0

खास और  आम  दिल्ली के चुनाव में जनता ने जो पैगाम दिया है उसे समझने का प्रयास हमारे लीडर नहीं कर रहे। मसला केवल साफ राजनीति या लोकपाल का ही नहीं है। जनता उस सरकारी संस्कृति का भी विरोध कर रही है जो हमें दो डिब्बों में बांट देती है, खास और आम। इसलिए अब जो आम है वह झाड़ू लेकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं।  चुनाव के समय जो जनता के आगे हाथ जोड़ कर वोट मांगते हैं वे चुनाव जीतते ही हमारे सर पर बैठ जाते हैं। लाल बत्ती वाली कारें, प्रदूषण बढ़ाते ऊंचे ध्वनि वाले सायरन तथा गनमैन उन्हें आम आदमी से अलग कर देते हैं। जब उन्होंने गुज़रना होता है तो एम्बूलैंस तक को भी […]