सिंहासन खाली करो कि जनता आती है!

March 12, 2014 Chander Mohan 1

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है! आम चुनाव लोकतंत्र का जश्न है। पांच साल उनके एक दिन हमारा! इस एक दिन में जनता अपना हिसाब बराबर करती है; इसलिए जरूरी है कि इस मौके का सही इस्तेमाल किया जाए। संसद के अंदर ‘माननीय’ ने पिछले दिनों जो व्यवहार किया है वह सोचने पर मज़बूर करता है कि हम किन्हें अपना प्रतिनिधि बना रहें हैं? यह भी दिलचस्प है कि इस एक दिन से बड़े-बड़े लोग आंतकित रहते हैं। ताकतवार मंत्रियों के भी जनता के इस सशक्त अधिकार से पसीने छूटते हैं। दिग्विजय सिंह और कुमारी शैलजा जैसे राज्यसभा में पहुंच चुके हैं। शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल बन गई है। सिहासन खाली करो कि जनता आती है! इस बार […]

टोपी में क्या रखा है?

August 20, 2013 Chander Mohan 4

टोपी में क्या रखा है? शेक्सपीयर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है पर अगर वे आज के भारत को देखते तो जरूर पूछते है कि टोपी में क्या रखा है? मामला अभिनेता रजा मुराद की टिप्पणी से भड़क गया जब ईद के मौके पर भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन्होंने मुस्लिम टोपी पहनी हुई थी की मौजूदगी में रजा मुराद ने नसीहत दे डाली कि शिवराज सिंह चौहान टोपी डालते हैं और दूसरे मुख्यमंत्रियों को इनसे सीख लेनी चाहिए। रजा मुराद का यह भी कहना था कि अगर टॉप पर रहना है तो टोपी पहननी पड़ेगी। ‘जो लोग खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझते हैं उन्हें शिवराज से सीख

दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है!

July 4, 2013 Chander Mohan 1

दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है! नीतीश कुमार एनडीए छोड़ गए हैं। अपने ‘नरेंद्रभाई’ से अब उन्हें अलर्जी है। जब 2002 में गुजरात के दंगे हुए थे तो नीतीश कुमार एनडीए के रेलमंत्री थे। उस वक्त उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। बाद में भाजपा के साथ गठबंधन कर वे मुख्यमंत्री बन गए। कोई तकलीफ नहीं हुई। 2003 में उन्हें मोदी से गुजरात से बाहर निकलने का आग्रह किया पर अब अचानक इन्हीं मोदी को वे बर्दाश्त नहीं कर रहे। ऐसी पाखंडी हमारी राजनीति है। पूर्व के प्रांतो की शिकायत है कि वे पिछड़े हैं। पर अगर ‘बीमारू’ मध्यप्रदेश 2012-13 में देश में सर्वश्रेष्ठ विकास की दर 10.02 प्राप्त सकता है तो पूर्व के प्रदेश क्यों नहीं कर सकते? इसका कारण है […]

पूंछ बता रही है कि घोड़ा किधर चले!

July 4, 2013 Chander Mohan 0

पूंछ बता रही है कि घोड़ा किधर चले! नीतीश कुमार का धारावाहिक क्रन्दन जारी है। अब उन्होंने भाजपा को वर्षांत तक का समय दिया है कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला करें। यह सलाह नहीं है, चेतावनी है। उनकी शर्त है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार वह हो जो मौका आने पर तिलक भी लगाए और टोपी डालने को भी तैयार हो। बस, सैक्युलर अर्थात्ï धर्मनिरपेक्ष बनने के लिए इतना ही चाहिए? जो टोपी डालने को तैयार है वह सैक्यूलर हो गया? कबीर कह गए हैं कि कपड़ा रंगने से कोई जोगी नहीं बनता! फिर क्रास और कड़ा क्यों नहीं डालना चाहिए? क्या धर्मनिरपेक्षता की सारी कवायद तमाशों पर आधारित है? मिसाल के तौर पर जो नेता इफ्तार […]

बसंलजी, हमें रूम फ्रैशनर की अनुभूति कब होगी?

July 4, 2013 Chander Mohan 0

बसंलजी, हमें रूम फ्रैशनर की अनुभूति कब होगी? पवन बंसल से पहले रेल विभाग लालू प्रसाद यादव, राम बिलास पासवान, नीतीश कुमार तथा ममता बनर्जी या उनकी पार्टी के प्रतिनिधि रेलमंत्री रहे हैं। इस दौरान दो कमजोरियां रही हैं। एक, केवल पूर्व भारत का ख्याल रखा गया। दूसरा, इन सब का ध्यान सस्ती लोकप्रियता बढ़ाने में था रेल की आर्थिकता सही करने में नहीं। पिछले 10 वर्ष रेल का किराया नहीं बढ़ाया गया। रेल को आधुनिक  तथा सुरक्षित बनाने तथा लोगों तथा उद्योग की जरूरत के अनुसार तैयार करने का प्रयास नहीं किया गया। कई पुल है जो अंग्रेजों के समय के हैं। मुंबई-दिल्ली मुख्य रेलमार्ग पर रतलाम के पास भैरोगढ़ का पुल 120 वर्ष पुराना है। इसे 2003-04 में […]

दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है

July 4, 2013 Chander Mohan 0

दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है पंजाबी का मुहावरा है “पिंड वसया नहीं उचक्के पहलां आ गए”, अर्थात्ï गांव तो अभी बसा नहीं बदमाश पहले पहुंच गए। 2014 के चुनाव को लेकर जनता दल (यू) तथा भाजपा के बीच जो रार छिड़ गई है उसके बारे भी यही कहा जा सकता है। दो वर्ष पड़े है और यह भी मालूम नहीं कि राजग की सरकार बनेगी या नहीं पर अभी से इसे लेकर राजग में सर फोडऩे की नौबत आ गई हैं। समझ नहीं आ रही कि इस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भावी प्रधानमंत्री की योग्यता का मामला खोलने की क्या मजबूरी थी सिर्फ इसके कि वह खुद को बहुत बड़ा ‘सैक्यूलर’ सिद्ध करना चाहते हैं। उनकी […]