
उसकी अपनी उम्र गुडिय़ा से खेलने की है पर 10 वर्ष की आयु में वह मां बन चुकी है। उसे मालूम नहीं कि उसने बच्ची को जन्म दिया है। पिता ने उसे बताया कि पेट में पत्थरी थी इसलिए आप्रेशन किया गया। क्योंकि उसका नाजुक शरीर प्रसव पीड़ा सह नहीं सकता था इसलिए प्रीमैच्योर डिलिवरी करवाई गई।
क्या घोर अनर्थ है! नवजात का बाप उसकी मां का मामा है जो उस बच्ची से लगातार बलात्कार करता रहा। अच्छी खबर केवल यह है कि नवजात को गोद लेने के लिए बहुत से लोग आगे आ रहे हैं लेकिन यह कैसा समाज है जहां मामा ने 10 वर्ष की भानजी को ही गर्भवती बना दिया? कैसे-कैसे राक्षस यहां मौजूद हैं? अभी तो वह बच्ची है समझ नहीं है। जब वह बड़ी होगी और समझ जाएगी कि उसके साथ क्या बीता तब….।
कहां गए हमारे संस्कार जिन पर हमें इतना गर्व था? हमारी नैतिकता क्यों बिखर रही है? बार-बार ऐसे शर्मनाक किस्से बाहर निकल रहे हैं जो मामले लोकलाज के कारण दबा दिए गए वह भी अनेक होंगे। निर्भया कांड से देश में जो हाहाकार मचा था उसके बाद बहुत सख्त कानून बनाया गया लेकिन स्थिति में कुछ परिवर्तन नहीं आया। लुधियाना के पास गांव में स्कूल जा रही लडक़ी को चार लोग अगवा कर ले गए। उसके साथ रेप किया और बाद में उसे खेत में फैंक दिया गया। 4 जुलाई को शिमला के नजदीक स्कूल से लौट रही 16 साल की लडक़ी को अगवा कर लिया गया। सामूहिक बलात्कार के बाद उसे कोटखाई के जंगल में फैंक दिया गया। मृत। अफसोस पहाड़ों को भी मैदानों की हवा लग गई लगती है।
सारे देश को शर्मसार करने वाली बड़ी घटना 15 अगस्त को चंडीगढ़ में घटी। एक तरफ ‘सिटी ब्यूटीफुल’ में स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था तो दूसरी तरफ घर से तिरंगा ले परेड में शामिल होने निकली 8वीं कक्षा की छात्रा के साथ दिन-दिहाड़े बलात्कार हो गया। घटना परेड के नजदीक हुई। अनुमान है कि 700 पुलिस वाले आसपास तैनात थे लेकिन फिर भी अभियुक्त बच्ची को 500 मीटर घसीट कर ले गए और अभी तक अपराधी का सुराग नहीं मिला।
शर्मनाक है कि आजादी दिवस पर ऐसा अनर्थ हो गया। एक तरफ चंडीगढ़ में तिरंगा लहराया जा रहा था तो पास के पार्क में बच्ची की इज्जत लूटी जा रही थी। अब तो यह शहर ‘ब्यूटीफुल’ नहीं ‘अगली’ बदसूरत नजर आने लगा है। स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में पंजाब के गर्वनर तथा चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने महिला सुरक्षा के लिए प्रशासन की उपलब्धियां गिनाई थी। लेकिन फिर भी वह बच्ची हवस का शिकार हो गई।
साफ है कि हमारे देश में बहुत कुछ गंदा गला सड़ा है। बलिया में पुलिस वालों ने ही बच्ची से बलात्कार कर लिया। असफलता केवल प्रशासन की ही नहीं, असली असफलता तो समाज की है। प्रभाव यह मिल रहा है कि यहां हर मोड़ पर भेड़िए छिपे हैं। कभी सोचा भी था कि देव भूमि हिमाचल प्रदेश में भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से कहा था कि बेटी की नहीं बेटे की चिंता करो, उन्हें संभालो। इसके विपरीत मुलायम सिंह यादव जैसे नेता भी यहां मौजूद हैं जो कहते हैं कि “लड़के हैं, लडक़ों से गलती हो जाती है।” क्या किसी से बलात्कार करना और उसकी जिंदगी तबाह करना मात्र ‘गलती’ है?
हैरानी नहीं कि बड़े लोगों की औलाद बार-बार बेलगाम हो रही है। सूची बड़ी लम्बी है। जैसिका लाल को कांग्रेस के नेता विनोद शर्मा के बेटे मनू शर्मा ने इसलिए गोली मार दी थी क्योंकि उसने बार में और शराब देने से इंकार कर दिया था। रुचिका गिरहोत्रा 14 वर्ष की थी जब हरियाणा के आईजी राठौर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। उसके बाद रुचिका तथा उसके परिवार का घोर उत्पीडऩ किया गया। आखिर रुचिका ने आत्महत्या कर ली।
फ्रांसीसी टूरिस्ट काटिया डरनर्ड के साथ 1999 में अपहरण के बाद कारखाने में सामूहिक बलात्कार किया गया। मुख्य अभियुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का पोता गुरकीरत था। वह और उसके साथी रिहा कर दिए गए क्योंकि अभियोजन पक्ष कोई सबूत पेश नहीं कर सका। काटिया भारत छोड़ गई और गुरकीरत को लोगों ने विधायक बना दिया। यह हमारे समाज की अत्यंत बुरी तस्वीर पेश करती है कि हम ऐसी घिनौनी हरकतों को भी सामान्य समझते हैं।
इसलिए खुशी है कि चंडीगढ़ की वार्णिका कुंडू बच गई। रात को काम से लौटने के वक्त घर जाते हुए उसकी बार का पीछा हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला के पुत्र विकास तथा उसके दोस्ती आशीष ने किया। बार-बार अपने वाहन द्वारा उसकी कार को रोकने की कोशिश की गई। एक बार दरवाजा खोलने का प्रयास किया।
लडक़ी जो आईएएस अफसर की बेटी है, हिम्मती निकली। उसने पुलिस को बुला लिया लेकिन जब पता चला कि एक लडक़ा भाजपा अध्यक्ष का बेटा है पुलिस के हाथ-पैर फूल गए। थाने में कोल्ड कॉफी पेश करने से लेकर हल्की धाराएं लगाकर जमानत दे दी गई। बाद में जब सारे देश में बवाल मच गया तो लडक़ों को दोबारा सख्त धाराओं में गिरफ्तार किया गया। पुलिस को अचानक “नए तथ्य” मिल गए।
‘बेटी बचाओ’ कार्यक्रम का क्या मतलब जब आपके अपने लड़के ही बेटी के लिए खतरा हैं? कुछ लोगों ने इस घटना के बाद सुभाष बराला का इस्तीफा मांगा। इस पर जवाब था कि पुत्र की करनी की सजा पिता को क्यों मिले? बात गलत नहीं। पर क्या विकास बराला इस तरह लडक़ी को अगवा करने की जुर्रत करता अगर वह सुभाष बराला का बेटा न होता? नेताओं के यह काके चाहे वह मनू शर्मा हो या विकास यादव हो या गुरकीरत सिंह हो या अब विकास बराला हो, इसलिए लक्ष्मण रेखा पार करते हैं क्योंकि मानसिकता यह है कि हम विशेषाधिकार सम्पन्न परिवार से हैं इसलिए कानून से उपर हैं। और अगर कुछ गलत हो भी गया तो डैड बचा ही लेंगे!
वीआईपी संस्कृति केवल लाल बत्ती हटाने से नहीं खत्म होगी। अहंकार वाली वीआईपी मानसिकता खत्म करने की जरूरत है कि देश में एक विशिष्ठ वर्ग है जो कुछ भी कर सकता है। एक नाबालिग लडक़ी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका डाली है कि सुभाष बराला के परिवार के दो और लडक़ों ने उसके साथ रेप किया था। जब मामला बाहर आया तो पहले पुलिस ने दर्ज करने से इंकार कर दिया। बाद में एफआईआर दर्ज तो की गई पर बराला परिवार के रसूख के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए पीड़िता अब हाईकोर्ट में है। ‘बेटी बचाओ’ अभियान के चिथड़े उड़ रहे हैं।
लेकिन मामला इससे भी अधिक गंभीर है। जाट आंदोलन के दौरान मुरथल में जीटी रोड पर बलात्कार हो गया, चाहे जांच कहीं नहीं पहुंची। असली समस्या समाज में है। वर्णिका के पिता वीएस कुंडू ने बहुत असुखद सवाल खड़े किए हैं। वह पूछते हैं, “क्या हमारे देश में एक महिला को आजाद और समान नागरिक की तरह जीने का हक है?”
उनकी परेशानी समझ आती है। उनकी बेटी बच गई नहीं तो उसका भी निर्भया वाला हश्र हो सकता था। लेकिन कितनी और होंगी जो नहीं बचेंगी? और दूर फ्रांस में बैठी काटिया लिखती है, “23 साल गुजर गए और मैं आज भी अन्याय को महसूस करती हूं जिसने अभियुक्त को बरी होने दिया। मैं देखती हूं कि कुछ नहीं बदला।”
चाहे अब तीन तलाक को रद्द कर बहुत बड़ा कदम उठाया गया है पर यह भी शर्मनाक हकीकत है कि यह वह देश और वह समाज है जहां गुडिय़ा भी भंग की जाती है!
जहां गुडिय़ा भंग की जाती है (Where Gudiya is Violated),