
बिल्ली थैले से बाहर आ गई है। जो बात हम सब कहते रहे उसकी पुष्टि पाकिस्तान के बड़बोले रेल मंत्री शेख रशीद ने कर दी है कि करतारपुर कॉरिडर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के दिमाग की उपज है जिसने इसके द्वारा “वह जख्म दिया है जो भारत को सदा याद रहेगा।” यही बात भारत की एजंसियों तथा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह भी कहते रहें हैं कि पाकिस्तान की करतारपुर कॉरिडर में असामान्य दिलचस्पी इसलिए नहीं है कि उनमें अचानक गुरु नानक देव जी के प्रति श्रद्धा-भाव फूट उठा है बल्कि इसके पीछे पाकिस्तान की साजिश है क्योंकि वह फिर सिख उग्रवाद को बढ़ावा देना चाहता है। कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद परेशान पाकिस्तान की व्यवस्था अब पंजाब में गड़बड़ करवाना चाहती है जिसके लिए वह करतारपुर गलियारे का इस्तेमाल कर सकती है। उग्रवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस अभियान ने भी हाल ही में इस कॉरिडर को ‘मकसद का पुुल’ कहा है। यह ‘मकसद’ क्या है वह हम सब जानते हैं। पाकिस्तान की गुप्तचर एजंसी आईएसआई रैफरैंडम-2020 को सफल बनाना चाहती है। अफसोस है कि नवजोत सिंह सिद्धू जैसा होशियार व्यक्ति उनकी साजिश को समझ नहीं सका। पाकिस्तान समझता है कि सिद्धू के द्वारा वह भारत के पंजाब में अव्यवस्था पैदा कर सकतें है। अकारण नहीं कि कॉरिडर के उद्घाटन के समय इमरान खान ‘हमारे सिद्धू’ की तलाश कर रहें थे।
आतंकवाद के मामले में विशेषज्ञ डॉ. पीटर वाक ने भारत को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजंसियां नवयुवकों की भर्ती कर रही है ताकि वह जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब में हिंसा करवा सके। उनका कहना है कि सोशल मीडिया के द्वारा अमेरिका, यूके तथा कैनेडा में बैठे खालिस्तान समर्थक सिख नौजवानों को कट्टरवाद की तरफ धकेलने की कोशिश कर रहें हैं ताकि रैफरैंडम-2020 को सफल बनाया जा सके। पाकिस्तान ड्रोन के द्वारा भी पंजाब में हथियार गिरवाता रहा है। जो खेप पकड़ी नहीं गई वह अलग है। करतारपुर से लौटे एक कथित श्रद्धालु से नशीले पदार्थ भी बरामद हुए हैं। यही नहीं कि यह गलियारा बहुत सफल रहा है। बड़ा कारण है कि युवा अपना पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान नहीं जाना चाहते क्योंकि उन्हें आशंका है कि ऐसी स्थिति में उन्हें अमेरिका या ईयू या आस्ट्रेलिया या कैनेडा का वीज़ा नहीं मिलेगा। पाकिस्तान के पत्रकार खालिद अहमद ने स्वीकार किया है कि क्योंकि पाकिस्तान की सेना इस योजना के पीछे है इसलिए भारत में इसे आशंका से देखा जा रहा है लेकिन सवाल तो यह ही है कि पाकिस्तान की सेना की इस गलियारे में असामान्य दिलचस्पी क्यों है?
पाकिस्तान फिर पंजाब में पानी धुंधला करना चाहता है। पंजाब सरहदी प्रदेश तो है ही अब उसे एक बार फिर पाकिस्तान की बड़ी शरारत का सामना करना पड़ रहा है। यह संतोष की बात है कि पंजाब का नेतृत्व इस वक्त उन कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के हाथ है जो कट्टर राष्ट्रवादी है और जिनके ज़हन में पाकिस्तान के बईमान इरादों के प्रति पूरी स्पष्टता है। पर चिंता की बात है कि खुद पंजाब की हालत अच्छी नहीं। वह कर्ज के बोझ में डूब चुका है और विकास रुक गया है। नौकरियां है नहीं इसीलिए तेजी से युवा विदेश भाग रहें हैं जिसका सीधा प्रभाव पंजाब में उच्च शिक्षा के क्षेत्र पर पड़ रहा है। जंडियाला मंजकी का सरकारी कॉलेज बंद हो चुका है। जो कालेज चल रहे हैं वह भी गंभीर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहें हैं। एक तरफ छात्र कम है क्योंकि बहुत विदेश में भाग गए हैं तो दूसरी तरफ सरकार की वित्तीय स्थिति इतनी खराब है कि जुलाई के बाद ग्रांट नहीं दी गई। अनुमान है कि पंजाब से 28,500 करोड़ रुपया छात्रों के द्वारा हर साल विदेश चला जाता है।
पंजाब सरकार की बड़ी समस्या है कि पैसा है ही नहीं। वेतन, ग्रांट, पैंशन जो देना सरकार की जिम्मेवारी है उनका भुगतान करने के लिए भी भारी तंगी है। इस वक्त खजाने में 5000 करोड़ रुपए के बिल लटके हुए हैं। आर्थिक हालत इतनी कमजोर है कि वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने एक प्रकार से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। प्रदेश पर 2.13 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसका ब्याज चुकाना ही मुसीबत है। एक प्रकार से वित्तीय एमरजैंसी वाली हालत बन ही है। दूसरी तरफ तीने महीने से केन्द्र सरकार ने 4000 करोड़ रुपए का जीएसटी का पैसा नहीं दिया था। अब अवश्य 2200 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं पर दिसम्बर के आखिर तक फिर केन्द्र की तरफ 4000 करोड़ रुपए हो जाएंगे। पंजाब सरकार अपना राजस्व नहीं बढ़ा सकी लेकिन केन्द्र सरकार भी जीएसटी का पैसा दबा कर क्यों बैठी है? ठीक है कुछ और प्रदेश भी है जिन्हें जीएसटी का पैसा नहीं मिला लेकिन पंजाब तो सरहदी सूबा है जिसे पाकिस्तान से गंभीर चुनौती का सामना हो रहा है। ऐसे समय में पंजाब का अपना पैसा दबा कर केन्द्रीय सरकार देश की क्या सेवा कर रही है? याद रखना चाहिए कि 1980 के दशक में जब यहां आतंकवाद पनपा था तो उसका एक प्रमुख कारण यह भी था कि यहां बहुत संख्या में बेरोजगार युवक कट्टरवादियों के झांसे में आ गए थे और पाकिस्तान की साजिश लगभग सफल हो गई थी। अब फिर वही स्थिति बनती जा रही है। एक तरफ पाकिस्तान फिर साजिश कर रहा है तो दूसरी तरफ आर्थिक तंगी के कारण प्रदेश सरकार खुद को कमज़ोर पा रही है।
यह नहीं कि प्रदेश सरकार खुद दोष रहित है। आर्थिक तंगी का सामना कर रही कैप्टन सरकार नए-नए सलाहकारों पर पैसा खर्च रही है। सरकार की अपनी टैक्स रिकवरी कमज़ोर है। डीज़ल, पेट्रोल, शराब और बिजली से मिलने वाली राशि तो प्रदेश सरकार ने इकट्ठी करनी है लेकिन उसमें भी 18 प्रतिशत की गिरावट है। न ही सरकार अपने खर्चे ही घटा रही है। समय आ गया है कि केन्द्रीय सरकार पंजाब की गंभीर आर्थिक हालत को गंभीरता से ले। पंजाब फिर ढलान पर खड़ा है जबकि उससे कहा जा रहा है कि वह पाकिस्तान के विरुद्ध देश की लड़ाई का जरनैल बने। आर्थिक तंगी का असर नीचे तक जाता है। पंजाब के शहर गंदे और अव्यवस्थित हैं। अकेले जालंधर शहर का जीएसटी का 30 करोड़ रुपए पंजाब सरकार की तरफ बकाया है। शहर विकास कैसे करेंगे? छात्रों को मिल रही एससी/एसटी स्कॉलरशिप कई सालों से रुकी हुई है जिस कारण शिक्षा संस्थाओं में अलग तनाव है। कृषि का अपना संकट बरकरार है।
चाहे सरकार ड्रग्स के मामले को गंभीरता से लेती है लेकिन यह तो पहले ही फैल चुका है। कड़वी सच्चाई है कि अकाली दल के 10 सालों ने हमारी नसल खराब कर दी। नए उद्योग न आ रहे हैं और न ही लग रहें हैं। असंतोष बढ़ रहा है। बेरोजगार लड़के गैंगस्टर बन रहे हैं। सरकार के अंदर भी असंतोष है और कुछ विधायक बागी होने की धमकी दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि अमरेन्द्र सिंह महावत से सरकार की कमान अपने हाथ में लें। यह महावत कौन है? अमरेन्द्र सिंह कमज़ोर नेता नहीं हैं लेकिन कमज़ोर अर्थ व्यवस्था उन्हें कमज़ोर कर रही है। केन्द्र को तत्काल दखल देना चाहिए और पंजाब की उसी तरह मदद करनी चाहिए जैसी जम्मू-कश्मीर की होती रही है। पंजाब को विशेेष श्रेणी में रखा जाना चाहिए क्योंकि यह प्रदेश तत्काल विशेष सहायता का हकदार है। देश के नेतृत्व को सोचना चाहिए कि पंजाब का उस वक्त फटेहाल होना और उनके द्वारा पंजाब की उस वक्त उपेक्षा जिस वक्त पाकिस्तान की K-2 (कश्मीर, खालिस्तान) साजिश चरम पर है, कितना देश हित में है?
पंजाब को मदद चाहिए, तत्काल (Punjab Needs Immediate Support),