दुनिया को कोरोना वायरस से ग्रस्त करने वाले चीन के शहर वुहान में 76 दिन के बाद लॉकडाउन ख़त्म कर दिया गया। शहर में तो बाकायदा रोशनी और आतिशबाज़ी की गई। अर्थात दुनिया के लगभग 200देशों को फँसा कर, एक लाख से अधिक मौतों तथा लगभग 20 लाख लोगों को संक्रमित करने के बाद चीन जश्न मना रहा है। डॉनलड ट्रमप ने पहले इस वायरस को CHINESE VIRUS या WUHAN VIRUS कहा था। अब शायद चीन के साथ अस्थाई सुलह हो गई है इसलिए उन्होंने इसे चाइनीज़ वायरस कहना बंद कर दिया है। चीन इस संज्ञा से बहुत चिढ़ता है कि यह कलंक कहीं चिपक न जाए इसलिए भारत समेत दूसरे देशों से कहा गया है कि वायरस पर कोई लेबल न लगाया जाए। चीन की आर्थिक तथा सैन्य ताक़त के कारण बहुत देश उन्हें नाराज़ नही करना चाहते लेकिन अन्दर ही अन्दर चीन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। और हक़ीक़त भी यही है कि यह CHINESE VIRUS ही है। यह चीन की दुनिया को काली देन है जिसके दुष्परिणाम बहुत देर तक देखे जाएंगे।
यह वायरस चीन से निकला है जहाँ लोगों के खाने के रिवाज ने इसे पैदा किया है। चीन की जंगली जानवरों की मार्केट में क़िस्म क़िस्म के पशु पक्षी खाने के लिए बिकते हैं। इनमें कुतें, बिल्लियाँ, साँप, चमगादड़, सब शामिल हैं। अब तो कुत्तों का मास नही बिकेगा क्योंकि कुतों को पालतु जानवर की श्रेणी में डाल दिया गया है लेकिन बाक़ी पशु-पंछी पहले की तरह बिक रहे हैं। अर्थात चीन से ऐसे किसी संक्रमण के फिर निकलने की सम्भावना सदैव बनी रहेगी।क्या COVID-19 के बाद COVID-20 होगा? इसके बराबर गम्भीर दूसरी शिकायत है कि वायरस की जानकारी मिलने के दो महीने तक चीन की सरकार ने यह जानकारी बाहर नही निकलने दी। उस वक़्त शी जिनपिंग को अपनी लीडरी की चिन्ता थी इसलिए परदा डाल दिया।
2019 के नवम्बर मध्य में चीन की सरकार को पता चल गया था कि वुहान में घातक बीमारी फूट चुकी है जो इंसान से इंसान में फैलती है पर दुनिया को इसकी जानकारी 21 जनवरी 2020 को उनके अख़बार च्पीपल्स डेलीज् के माध्यम से दी गई। चीन का कहना है कि उसके 3300 नागरिक मारे गए लेकिन कोई विश्वास नही कर रहा। बताया गया है कि हज़ारों मोबाईल फ़ोन वहाँ बंद हो गए है जिसका अर्थ यह निकाला जा रहा है कि वह लोग नही रहे। क्योंकि चीन एक बंद समाज है जिस पर कम्युनिस्ट पार्टी का सख़्त नियंत्रण है इसलिए वहां अन्दर क्या हो रहा है इसकी सही जानकारी कभी भी नही मिलेगी पर कुछ विशेषज्ञ लगभग 50000 मौतों की बात कह रहे हैं। चीन कह रहा है कि उसने हज़ारों मरीज़ों को ठीक किया है पर यह नही बताता कि किया कैसे गया ? न ही वह बाहर से विशेषज्ञों को ही आने दे रहे हैं लेकिन यह तो स्पष्ट है कि मामले को छिपा कर चीन ने दुनिया को भारी संकट में डाल दिया है। लाखों लोग इधर उधर सफ़र करते रहे और यह चीनी वायरस दुनिया भर में फैल गया। इसकी दवा बनाने के लिए भी दो महीने गँवा दिए गए।
जब तक 21 जनवरी को दुनिया को बताया गया तब तक वुहान से लाखों लोग निकल चुके थे और वायरस को देश विदेश में फैला रहे थे। यह आपराधिक लापरवाही ही नही आपराधिक संलिप्तता है। दुनिया को किस तरह से धोखे में रखा गया यह इस बात से पता चलता है कि जनवरी में वुहान के स्वास्थ्य आयोग ने यह झूठी घोषणा की कि जाँच से पता चलता है कि “कोई इंसान से इंसान संक्रमण नही है”।
यह भी बहुत चिन्ता की बात है कि इस सारे मामले पर परदा डालने में विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने पूरा सहयोग दिया। 14 जनवरी तक WHO कह रहा था कि चीन द्वारा जाँच से पता चलता है कि वुहान में उत्पन्न वायरस के इंसान से इंसान तक संक्रमण के कोई प्रमाण नही है। अभी तक लोगों को WHO पर बहुत विश्वास था लेकिन इस के मुखिया चीन की जेब में बताए जाते हैं इसलिए शुरू में उन्होंने चीन का बचाव किया और इस महामारी की गम्भीरता के बारे दुनिया को मार्च के मध्य में ही बताया। हैरानी नही कि अमेरिका के राष्ट्रपति इस संगठन से बहुत क्षुब्ध है और उसे मिल रही अमेरिकी सहायता पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहें हैं।
दुनिया के लिए यह चिन्ता की बात है कि न केवल WHO बल्कि संयुक्त राष्ट्र के बाक़ी संगठन भी चीन की ताक़त के आगे नकारा पाए गए हैं और किसी ने भी चीन को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास नही किया। अगस्त में जम्मू कश्मीर के दर्जे में परिवर्तन के बाद से चीन बार बार सुरक्षा परिषद में इस मसले पर बहस की कोशिश कर रहा है लेकिन वहाँ इस महामारीजिसने दुनिया को तबाह कर दिया पर कोई बहस नही होने दे रहा। न ही दूसरी महाशक्तियाँ बहस के लिए मजबूर ही कर सकी हैं। इस वक़्त चीन का वज़न इतना है कि कोई भी देश खुलेआम उस से झगड़ा नही ले सकता। जम्मू कश्मीर के बारे उत्तेजना के बावजूद भारत भी सहयोग कर रहा है। उनका घमंड भी इतना है कि बेपरवाह हैं। राहत की जो सामग्री उन्होंने योरूप के कुछ देशों को भेजी है वह घटिया निकली है। नीदरलैण्ड को भेजे छ: लाख मास्क ख़राब निकले हैं वह कोई सुरक्षा प्रदान नही करते। अमेरिका भी चीन की न्यूज़ एजंसी जिनहुआ की इस रिपोर्ट को शायद ही भूलेगा कि “चीन अमेरिका को मेडिकल सप्लाई रोक कर कोरोनावायरस महामारी के नर्क में धकेल सकता है”। और साथ ही उस देश को यह भी बता दिया कि अमेरिका जो दवाइयाँ आयात करता है उसका 90 प्रतिशत चीन से आता है। हैरानी नही कि ट्रमप HCG भारत से आयात करने के लिए इतने तड़प रहे थे।
लेकिन अब दुनिया का धैर्य जवाब देने लगा है। जिसे बैकलैश कहा जाता है वह सरकारों से लेकर आम लोगों तक देखने को मिल रहा है जिससे चीन को दीर्घकालीक कष्ट होगा। जहाँ विभिन्न सरकारें अपनी अपनी जगह चीन पर निर्भरता कम करने में लगी है वहॉ आम लोग जिनकी ज़िन्दगी तबाह हो गई है चीन और चीनियों के प्रति भारी ग़ुस्से में हैं। चीन इस समय दुनिया की उत्पादन ऋंखला का केन्द्र है उसे दुनिया की वर्कशाप माना जाता है। सस्ते चीनी उत्पाद से उन्होंने दुनिया भर की मार्केट पर क़ब्ज़ा कर लिया है। हर देश उन पर निर्भर है। समय लगेगा पर अब यह बदलेगा। इस वक़्त तो चीन दुनिया को जतलाने की कोशिश कर रहा है कि उसने कम नुक़सान से उस आफ़त को सम्भाल लिया जिसने पश्चिमी देशों को बर्बाद कर दिया है लेकिन आने वाले समय में चीन को वायरस पैदा करने तथा इसे दो महीने छिपाने की बड़ी क़ीमत अदा करनी पड़ेगी।
अब एक ही टोकरी में अंडे नही रखे जाएँगे। जापान ने चीन से आर्थिक दूरी बनाने के लिए 2.2 अरब डालर का पैकेज तैयार किया है जो उन कम्पनियों के लिए है जिन्हें कहा जाएगा कि वह चीन से निकल जाएँ। वह कहीं और जा सकती है पर उन्हें चीन छोड़ना पड़ेगा। अमेरिका भी चीन से अपने आर्थिक सम्बन्ध कमज़ोर करेगा। पिछले साल 50 अमेरिकी कम्पनियॉ चीन छोड़ चुकी हैं। सभी देश समझ गए हैं कि चीन पर इतनी अधिक निर्भरता है कि वह जब चाहे गला दबा दे। अब अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और बढ़ेगा और उन आलोचकों को मौक़ा मिल जाएगा जिनका कहना है कि चीन का उभार दुनिया के लिए अहितकर है। वैश्विकरण का चीन बहुत फ़ायदा उठा गया था और उस पर ज़रूरत से अधिक निर्भरता हो गई थी अब यह बिखरेगी चाहे महँगा माल मँगवाया जाए या ख़ुद बनाया जाए। 2020 से विश्व व्यवस्था में परिवर्तन आएगा।चीन के साथ केवल Social-Distancing ही नही Economic-Distancing ही बढ़ाई जाएगी। भारत और कुछ और देशों जहाँ लेबर सस्ती है जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया,बांग्लादेश, थाईलैंड आदि के लिए अनुपम मौक़ा है। भारत विशेष तौर पर फ़ायदा उठाने की स्थिति में है क्योंकि यहाँ का उद्योग विश्व स्तर का है। आशा है सरकार इस मौक़े को हड़पने का पूरा प्रयास करेगी।
दुनिया को ड्रैगन ने आतंकित कर दिया है। अब इतिहास बदलेगा और बदलना भी चाहिए। दुनिया को चीन से वर्तमान वैश्विक अराजकता की क़ीमत वसूल करनी है। चीन की छवि को स्थाई क्षति पहुँची है। उस देश तथा उसके वासियों के प्रति बाक़ी दुनिया में जो कड़वाहट है वह सामान्य नही है। आख़िर करोड़ों ज़िन्दगियों अस्थिर हो चुकी है और लाखों तमाम हो चुकीं हैं। चीन ने जिस तरह दुनिया को शुरू में अंधेरे में रखा वह मानवता के प्रति अपराध है। चीन सब का गुनहगार है। इसे न भूलना चाहिए न माफ़ करना चाहिए। सरकारें इस वायरस को किसी भी नाम से पुकारें लोग तो इसे CHINESE VIRUS ही कहेंगे।
दुनिया का गुनहगार: चीन (China in Dock),