2020 बहुत बर्बाद कर गया, पर बहुत कुछ समझा भी गया 2020 Shadow on 2021
जब बीते साल की तरफ़ मुड़ कर देखता हूँ तो गाने की यह पंक्ति याद आजाती है, ‘जग सूना सूना लागे, जग सूना सूना लागे’। 2020 वह साल था जिसकी कोई आत्मा नहीं थी। कोई उपलब्धि नही थी, अगर थी तो यह कि हम बच गए! यह साल ज़िन्दगी की नाजुकता समझा गया। यह सबसे अशांत और विघटनकारी वर्ष था जिसमें बचे रहना ही मक़सद था। याद ही नही रहा कि कब किससे हाथ मिलाया था, या कब किसे गले लगाया था। सब कुछ वॉटसअप हो गया! ज़िन्दगी की छोटी छोटी ख़ुशियाँ दुर्लभ हो गईं। अलगाववाद न्यू नार्मल बन गया। नया अछूतीकरण शुरू हो गया। ज़िन्दगी के पुराने तौर तरीक़े टूटे फटे नज़र आ रहें हैं। क्योंकि एक दूसरे का […]