
अमेरिका में अवैध तरीक़े से रह रहे, या अवैध तरीक़े से दाखिल होने की कोशिश कर रहे भारतीयों को लेकर तीसरा विमान अमृतसर में लैंड कर चुका है। मैक्सिको और अल सल्वाडोर के बाद सबसे अधिक अवैध अप्रवासी भारत से है। डानल्ड ट्रम्प के आने के बाद अमेरिका इन लोगों के प्रति सख़्त हो गया है। यह उनकी नीति है जिस पर उनका अधिकार है पर जिस तरह उन्हें वापिस भेजा गए उसको लेकर यहाँ भारी विवाद खड़ा हो गया है। एक कारण तो है कि उन्हें बहुत अमानवीय तरीक़े से ज़ंजीरों में जकड़ कर और हथकड़ियाँ लगा कर घोर अपराधियों की तरह भेजा गया। 40 घंटे की उड़ान के दौरान उन्हें हिलने नही दिया गया। सरकार की तरफ़ से विदेश मंत्री जयशंकर का स्पष्टीकरण था कि हथकड़ी लगाना अमेरिका की नीति है, और महिलाओं को हथकड़ी नहीं लगाई गई और पहले भी इस तरह अवैध अप्रवासी डिपोर्ट होते रहें हैं।
जयशंकर की बात आंशिक तौर पर सही है। यह तो सही है कि पहले भी नज़ायज़ तौर पर रह रहे लोगो को डिपोर्ट किया गया है। 2018 से लेकर 2023 तक 5477 भारतीय इस तरह वापिस भेजे गए। अक्तूबर 2023 से लेकर सितंबर 2024 तक 1100 भारतीयों को वापिस भेजा गया पर यह सब इंसानों की तरह चार्टड फ़्लाइट से आए थे। हथकड़ी नहीं लगी थी और न ही पैरो में ज़ंजीरें थीं। इस बार सैनिक विमान से भेजा गया। वापिस भेजी गई दो महिलाओं ने जयशंकर की बात का प्रतिवाद किया कि महिलाओ को हथकड़ी नहीं लगाई गई। न ही पहले निष्कासन का प्रचार ही किया गया। इस बार अमेरिका के बार्डर पेट्रोल ने बाक़ायदा X पर वीडियो डाल दिया जिसमें ज़ंजीरों में जकड़े भारतीयों धीरे धीरे घिसट घिसट कर चल रहे थे। ऐसा लग रहा था कि न केवल चेतावनी दी जा रही है बल्कि दुनिया के सामने हमें शर्मिंदा भी क्या जा रहा है। अमेरिका ने जब कोलम्बिया के अवैध अप्रवासियों को सैनिक विमान से वापिस भेजा तो राष्ट्रपति ने विमान उतरने नहीं दिया। बाद में अपना विमान भेज कर उन्हें वापिस मँगवाया और उन्हें खुद रिसीव किया। भारत सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकी?
दूसरा बड़ा विवाद अमरीका के सैनिक विमानों के उतरने के स्थान को लेकर है। अभी तक तीनों बार यह विमान अमृतसर में लैंड किए गए। इस पर पंजाब को गम्भीर आपत्ति है क्योंकि जो वापिस भेजे जा रहें हैं उनमें केवल पंजाब के लोग ही नही हैं, दूसरे प्रांत विशेष तौर पर गुजरात और हरियाणा के लोग भी हैं। पहले विमान में सबसे अधिक गुजरात के 33 अवैध थे जबकि पंजाब और हरियाणा के 30-30 लोग थे। फिर यह विमान अमृतसर में क्यों उतारा गया, अहमदाबाद में क्यों नहीं? पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान विशेष तौर पर मुखर है और उनका आरोप है कि “यह पंजाब और पंजाबियों को बदनाम करने की केन्द्र सरकार की साजिश है”। अमृतसर में जहाज़ बार-बार उतारे जानें के बारे मुख्यमंत्री मान की शिकायत बिल्कुल जायज़ है। मैं यह तो मानने को तैयार नहीं कि यह केन्द्र की ‘साज़िश’ है पर निश्चित तौर पर पंजाबियों की भावना के प्रति लापरवाही बरती गई है। ऐसा प्रभाव दिया जा रहा है कि जैसे पंजाबी ही दोषी हैं। भाजपा की तरफ़ से स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि अमृतसर अमेरिका के सबसे नज़दीक हवाईअड्डा पड़ता है। पहली बात तो यह कि उनका तेल फूँकता है तो हमें चिन्ता क्यों हो? अगर हम कहें कि अमृतसर नहीं उतरने देंगे आप अहमदाबाद या दिल्ली में उतारो तो वह ज़बरदस्ती तो उतार नही देंगें। बार बार विमान अमृतसर में उतार कर बहुत ग़लत प्रभाव दिया जा रहा है। पंजाब पहले ही बेचैन है उसे शांत करने का प्रयास होना चाहिए न कि और उत्तेजित करने का। आशा है अगले ऐसे जो विमान आएँगे, उन्हें किसी और जगह उतारा जाएगा।
अमरीकी आँकड़ों के अनुसार अमेरिका में 7 लाख अवैध भारतीय अप्रवासी हैं। सबसे अधिक पंजाब और गुजरात से हैं। इस समय 24000 अवैध भारतीय वहाँ हिरासत में हैं। लेकिन वह आतंकवादी तो नहीं है कि उन्हें ज़ंजीरों में जकड़ वापिस भेजा जा रहा है, उन्हें सभ्य तरीक़े से भी तो भेजा जा सकता है। अमेरिका ने हमारी भावना की बिल्कुल परवाह नहीं की। अमेरिका की फरलेह डिकंसन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डॉन कसीनो ने लिखा है, “अप्रवासी भारतीयों को उड़ान के समय जंजीरो और हथकड़ियाँ में डालने की कोई ज़रूरत नहीं थी पर यह ट्रम्प समर्थकों को बताने के लिए है कि सरकार इस मामले में कितनी कठोर है”। इसीलिए शायद वीडियो भी जारी किया गया। प्रोफ़ेसर कसीनो का यह भी कहना है कि “अमरीकी सरकार चाहते हुए भी सभी अवैध अप्रवासियों को वापिस नहीं भेज सकती”। इसका कारण स्पष्ट है कि यह लोग खेतों में काम करते हैं, होटल के कमरे और टॉयलेट साफ़ करते हैं, दुकानों और रैसटोरैंट में काम करते है। क्योंकि यह अवैध हैं इसलिए पगार भी कम मिलती है और अमरीकी यह काम खुद कर खुश भी नहीं हैं। अमरीका इन करोड़ों जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है की लेबर के बिना चल नहीं सकता, डानल्ड ट्रम्प कितना भी शोर मचा लें।
पर यह उनका मामला है। इस सारे घटनाक्रम से हमारी तो बदनामी हो रही है। एक तरफ़ हम ढँढोरा पीट रहें हैं कि हम दुनिया की सबसे तेज गति से विकास करने वाली पाँचवीं अर्थव्यवस्था है तो दूसरी तरफ़ हमारे लोग अवैध तरीक़े से जंगल, पहाड़, नदियाँ, बर्फ़ पार कर अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहें हैं।कई तो रास्ते में मारे भी जा चुकें हैं। कितनी मजबूरी है। दुबई में पूछने पर एक टैक्सी ड्राइवर ने जवाब दिया कि “क्या करें सर, घर में काम ही नही हैं नहीं तो कौन छोड़ कर जाता है”।पर्याप्त रोज़गार देने में हमारी असफलता हमारे लोगों की दुर्गति का मूल कारण है। रोज़गार की कमी और अवैध ट्रैवल एजेंटों की बेईमानी देश को शर्मसार कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि मानव तस्करी की प्रणाली को ध्वस्त करना होगा। पर करेगा कौन? अमेरिका ने तो स्पष्ट कर दिया कि वह सख़्ती से इस पर रोक लगाएँगे पर क्या हमारी सरकारें इस मानव तस्करी को रोकने के लिए तैयार है? केन्द्र सरकार से भी अधिक प्रादेशिक सरकारों की ज़िम्मेवारी है। पंजाब, हरियाणा, गुजरात जैसे प्रदेशों की सरकारें इस धंधे को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहीँ। पंजाब के डीजीपी का कहना है कि लौटे युवाओं से जानकारी जुटा कर अवैध ट्रैवल एजेंटों पर कार्रवाई करेंगे। यह बात हैरान करने वाली है। यह धंधा आज से तो है नही। दशकों से चल रहा है इसलिए यह मानना सम्भव नही कि पुलिस या सरकार को जानकारी नहीं है कि कौन संलिप्त हैं। इस सरकार से पहले जितनी भी सरकारें रहीं है, अकाली-भाजपा, कांग्रेस, सबके समय में यह चलता आ रहा है। लीपापोती करने के सिवाय कुछ नहीं किया गया। भगवंत मान सरकार को विपक्ष दोषी ठहरा रहा है पर इन्हें सत्ता में आए तीन साल ही हुए हैं जबकि यह धंधा तो बहुत पुराना है। कुछ वर्ष पहले पढ़ा था कि यह 500 करोड़ रुपये का कारोबार है। अब तो और भी बड़ा हो गया होगा।
पर अब वर्तमान सरकार की ज़िम्मेवारी है कि हमारे लोगों को डॉलर के सपने देने वालों से लुटने से बचाएँ। लाखों रुपए खर्च कर, ज़मीन और गहने बेच कर यह लोग ‘डंकी रूट’ से वहाँ पहुँचने की कोशिश कर रहें हैं। होशियारपुर के दलजीत सिंह ने बताया कि उसे डंकी रूट से अमेरिका पहुँचने में दो साल लग गए। अब वह बेचारा वापिस भेज दिया गया है। एक युवक को तो अमेरिका में घुसने के तीसरे दिन ही पकड़ लिया गया। यह बड़ी मानवीय त्रासदी है और न केवल पंजाब, बल्कि सभी सरकारों को सख़्ती से इस अवैध धंधे को कुचलना चाहिए। पंजाब में इनके प्रति वैसा ही अभियान चलाया जाना चाहिए जैसा ड्रग तस्करों के खिलाफ चलाया जा रहा है। यहां ऐसे अवैध एजेंटों की तादाद तीन हज़ार से अधिक बताई जाती है। इनकी सूची बना कर इनकी जायदाद उसी तरह ज़ब्त करनी चाहिए जैसे ड्रग तस्करों की की जा रही है। यह लोग नक़ली सपने दिखा असंख्य परिवारों को तबाह करने के अपराधी हैं। पर अभी तक केवल एक ट्रैवल एजेंट को पटियाला से गिरफ़्तार किया गया है। अगर ऐसी चाल रहेगी तो हमारे युवा लुटते रहेंगे।
सबसे दर्दनाक हादसा गुजरात के जगदीश पटेल परिवार के साथ हुआ था। जनवरी 2022 में माइनस 30 डिग्री में कैनेडा से अमेरिका की सीमा पार करते वकत जगदीश, उसकी पत्नि और दो छोटे बच्चे बर्फ़ में जम कर मारे गए। वह गुजरात के गाँव डिंगुचा के रहने वाले थे। इस गाँव में जगह जगह पोस्टर लगें हैं, ‘ विदेश जाने का अपना सपना साकार करो’। जगदीश पटेल परिवार और दूसरों के साथ जो हादसे हुए इसके बावजूद गुजरात से भी बड़े लोग डंकी रूट’ से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहें हैं। पिछले साल मैक्सिको या कैनेडा की तरफ़ से अमेरिका में घुसने के प्रयास में जो हज़ारों भारतीय पकडे गए थे उनमें से आधे गुजरात से थे। अर्थात् यह समस्या केवल पंजाब की ही नहीं है। 16 फ़रवरी को जो विमान अवैध अप्रवासियों को लेकर अमृतसर में लैंड किया उसमें 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से और 31 पंजाब से थे। उन सबकी दुर्दशा को देख कर बहुत कष्ट होता है पर सवाल फिर वही है कि अगर दूसरें प्रांतों के लोग अधिक थे तो विमान अमृतसर में ही क्यों उतारा गया?