दिल्ली बेरहम है (Dilli is Merciless)

January 16, 2020 Chander Mohan 0

दिल्ली के गली-कूचे इतिहास की बेरहम करवट के गवाह रहें हैं। बहुत कुछ देखा, बहुत कुछ बर्दाश्त किया और बहुत कुछ बर्बाद भी किया। मीर तक्की मीर जिन्हें दिल्ली से इश्क था, ने दिल्ली की बेरहमी के बारे लिखा था, दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें था कल तलक दिमाग जिन्हें ताज-ओ-तख्त का लाल हरदयाल ने मीर को भी जवाब दिया था, पगड़ी अपनी संभालिएगा मीर और बस्ती नहीं यह दिल्ली है अब फिर पगड़ी संभालने का मौका आ गया है। फरवरी में चुनाव है। क्या अरविंद केजरीवाल अपनी पगड़ी संभाल पाएंगे? और अगर उनके सर पर नहीं तो पगड़ी और किस के सिर पर बंधेगी? दिल्ली आज पूरे देश का लघु रूप है। कभी यह लाहौर के […]

लेकिन इन हवाओं को रोकिए (Stop This Madness)

January 8, 2020 Chander Mohan 0

इस देश की चाल बहुत बेढंगी हो रही है। यहां तो अब कोई मुसलमान विद्वान संस्कृत नहीं पढ़ा सकेगा। दिल्ली के जेएनयू पर नकाबपोश गुंडों ने जो हमला किया वह संस्था के बलात्कार से कम नहीं है। कैम्पस के अंदर ‘गोली मारो सालों को’ के नारे लगे और बाहर पुलिस तमाशबीन बनी रही। क्या शिक्षा को उजाडऩा है? क्या एक ही तरह की विचारधारा अब यहां स्वीकार्य होगी? देश के प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर में इस बात की जांच हो रही है कि क्या फैज अहमद फैज की प्रसिद्ध नज़म  ‘हम देखेंगे’ में हिन्दू विरोधी टिप्पणी की गई है? वहां के कुछ छात्रों ने यह नज़म पढ़ी थी जो फैज ने पाकिस्तान के तानाशाह ज़िया उल हक के खिलाफ लिखी थी […]

अंग्रेजी मीडिया और मिस्टर मोदी (English Media and Mr. Modi)

March 15, 2016 Chander Mohan 0

‘…स्पष्ट है कि कन्हैया जन्मजात से ही ऐसी प्रतिभा का स्वामी है जिसकी एक-एक बात को लाखों लोग मंत्रमुग्ध हो मौन और ध्यान से सुनते हैं…बहुत कम लोग इस बात से इन्कार करेंगे कि यह सितारा अवश्य चमकेगा। कुछ लोग तो यहां तक मानने लगे हैं कि वह एक दिन प्रधानमंत्री बनेगा…।’ यह शब्द अंग्रेजी मीडिया के अपने ‘चमकते सितारे’ करण थापर के हैं जो उन्होंने हाल ही में एक लेख में लिखे हैं और वह उस कन्हैया के बारे लिख रहे हैं जो देशद्रोह के मामले में छ: महीने की जमानत पर है, जिसने हाल ही में ‘डंके की चोट’ पर कहा था कि कश्मीर में सुरक्षा के नाम पर सेना महिलाओं से बलात्कार कर रही है, और जिस […]

जेएनयू में ‘संक्रमण’ (Infection in JNU)

March 8, 2016 Chander Mohan 0

जेएनयू की हालत से परेशान दिल्ली हाईकोर्ट की माननीय न्यायाधीश प्रतिभा रानी ने टिप्पणी की है कि ‘जब भी शरीर में संक्रमण फैलता है पहले मुंह के रास्ते दवाई देकर उसे फैलने से रोकने का प्रयास किया जाता है…कई बार सर्जरी करनी पड़ती है लेकिन अगर संक्रमण इतना फैल जाए कि मांस गलने लगे (गैंग्रीन) तो अंग काटना ही एकमात्र इलाज रह जाता है।’ जो लोग कन्हैया की रिहाई को बड़ी जीत समझ रहे हैं उन्हें न्यायाधीश की यह चेतावनी गंभीरता से लेनी चाहिए। वह दूषित अंग को अलग करने की चेतावनी भी दे रहीं हैं। जो लैफटिस्ट तथा कथित बुद्धिजीवी कन्हैया को मिली अंतरिम जमानत पर विजय दिवस मना रहे हैं उन्हें माननीय न्यायाधीश के पूरे फैसले को पढ़ना […]

जनरल साहिब, आप अकेले नहीं हैं! (General Sahib, You Are Not Alone)

February 23, 2016 Chander Mohan 0

यह एक अत्यंत भावुक क्षण था। अरनब गोस्वामी की बहस में जब कुछ वार्ताकारों ने सरकार की केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तिरंगा फहराने की योजना पर सवाल उठाया तो कई सैनिक के अभियानों नायक रिटायर्ड मेजर जनरल गगन बक्शी भावुक हो उठे। आंखें पौंछते हुए जनरल बक्शी ने मीडिया के एक वर्ग तथा कथित बुद्धिजीवियों द्वारा फैलाए जा रहे माहौल पर यह टिप्पणी की ‘‘दुख हो रहा है हम अकेले रह गए। हम फौजी आज अकेले रह गए। रोने के लिए।’’ कितनी तड़प है इन शब्दों में! कितनी हताशा! देश का एक बहादुर यौद्धा परेशान है कि इस देश में एक मुखर राय ऐसी भी है जो उदारवाद के नाम पर उनका समर्थन कर रही है जो देश की बर्बादी की बात […]

असहमति सही, विरोध जायज़, प्रदर्शन अधिकार, पर देश विरोध अस्वीकार्य (Dissent Fine, Opposition Acceptable, Protests Right but Anti National not acceptable)

February 16, 2016 Chander Mohan 1

जिस वक्त सियाचिन के हीरो लांस नायक हनुमनथप्पा की सलामती के लिए देश भर में प्रार्थनाएं हो रही थीं और देश की रक्षा के लिए उसके 9 साथियों की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त किया जा रहा था उसी दिन दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ लोग ‘अफजल गुरू जिंदाबाद’ तथा भारत के टुकड़े टुकड़े करने के नारे लगा रहे थे। जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया को गिरफ्तार कर लिया है पर वामपंथी उसके समर्थन पर उतर आए हैं और कहा जा रहा है कि देश में आपातकाल लगाया जा रहा है। यह बकवास है। अगर वामदल देश से भाप की तरह उड़ रहे हैं तो इसका भी मुख्य कारण है कि वह चरमपंथ को समर्थन […]