मुद्दत से आरजू थी कि सीधा करे कोई! (Someone has to set them right)

August 23, 2016 Chander Mohan 0

लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ब्लूचिस्तान, गिलगिट तथा पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों का जिक्र करने को वाशिंगटन स्थित ब्लूच बुद्धिजीवी मलिक सिराज अकबर ने ‘एक गेम चेंजर’ कहा है अर्थात् खेल बदलने वाला। उनका कहना है कि ब्लूचिस्तान पाकिस्तान के प्रतिद्वंद्वियों के लिए तैयार है जो इस्लामाबाद की फजीहत करना चाहते हैं और उसका खून बहाना चाहते हैं। यह सज्जन बहुत आगे बढ़ गए लगते हैं। यह तो सही है कि प्रधानमंत्री के कथन से खेल बदल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री के कथन का यह मतलब नहीं कि भारत वहां दखल देने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी यह संदेश अवश्य दे रहें हैं कि पाकिस्तान के बारे वह लगभग वहां तक जाने को तैयार […]

उड़ता मोदी, उभरता भारत (Flying Modi, Rising India)

June 14, 2016 Chander Mohan 0

वही दुनिया है। वही देश है। पर दो सालों में रिश्ता किस कद्र बदल गया! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पांच देशों की 33000 किलोमीटर की यात्रा फिर स्पष्ट कर गई कि भारत अब विश्व राजनीति के केन्द्र में मज़बूती से स्थापित है। नरेन्द्र मोदी समझ गए कि दुनिया में सैनिक तथा आर्थिक ताकत बनने के लिए अमेरिका का सहयोग बहुत जरूरी है। अमेरिकी पूंजी, तकनीक तथा समर्थन के बिना भारत विश्व ताकत नहीं बन सकता। इसलिए वीज़ा न दिए जाने की व्यक्तिगत तकलीफ को एक तरफ रखते हुए उन्होंने अमेरिका तथा भारत के बीच वह घनिष्ठता बना दी जो पहले कभी देखने को नहीं मिली। बराक ओबामा ने भी बराबर की गर्मजोशी तथा उदारता दिखाई। दिलचस्प है कि 1974 में […]

Andhera gum ka pighulne ko he

May 26, 2015 Chander Mohan 0

अंधेरा गम का पिघलने को है! एक साल पूरा हो गया, अच्छे दिन नहीं आए। इतनी जल्दी आ भी नहीं सकते थे। शंघाई में प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘दुख भरे दिन बीते रे भैय्या, सुख भरे दिन आयो रे।’ यह एकदम नहीं हो सकता था। नेतृत्व को अपने लोगों को न केवल ‘सुख भरे दिनों’ के लिए बल्कि मेहनत, तंगी, कुर्बानी के लिए भी तैयार रखना चाहिए कि अचानक परिवर्तन नहीं होगा। अगर इस सरकार के कामकाज का आंकलन करना है तो देखना होगा कि इनसे 12 महीने पहले हम कहां थे? हमारी तो हर नीति को लकवा मार गया था। मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत पर थी और विकास दर कम होकर 5 […]

Ninduk Niyre rakhie -by Chander Mohan

February 17, 2015 Chander Mohan 0

‘निंदक नियरे राखिए’ व्यक्तित्व की राजनीति अंतहीन नहीं हो सकती। दिल्ली का चुनाव परिणाम पहली चेतावनी है कि प्रधानमंत्री तथा उनके साथियों को उनके इमेज मेकर्स द्वारा निर्मित लोकप्रियता की धारणा से अतिशीघ्र बाहर आ जाना चाहिए और इस हकीकत का सामना करना चाहिए कि लोग असंतुष्ट हैं। अगर वह नाराज़ नहीं तो निराश जरूर हैं। दिल्ली का चुनाव नरेन्द्र मोदी के अपराजेय होने का मिथक भी तोड़ गया इसलिए आगे राजनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं। पहली परीक्षा तो बजट अधिवेशन में होगी। फिर बिहार के चुनाव हैं। नेताओं को खुद से पूछना चाहिए कि जमीन पर जो चल रहा था उसे भांपने में वह क्यों असफल रहे? आप सब तो दिल्ली में बैठे थे, आपको पता क्यों नहीं चला […]

Bharat-America, aur bemangi nasihat -by Chander Mohan

February 3, 2015 Chander Mohan 0

भारत-अमेरिका, और बेमांगी नसीहत दो नेताओं के बीच ‘कैमिस्ट्री’ अर्थात् घनिष्ठ रिश्ता कितना महत्व रखता है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि इसका बहुत महत्व है। भारत तथा अमेरिका के नेताओं के बीच गर्मजोशी पहले भी कई बार नज़र आई थी। नेहरू-कैनेडी, जिम्मी कार्टर-मोरारजी देसाई, बिल क्लिंटन-अटल बिहारी वाजपेयी, जार्ज बुश-मनमोहन सिंह, बराक ओबामा-मनमोहन सिंह के बीच भी अच्छे रिश्ते रहे थे पर अमेरिकी नेताओं की समस्या है कि हमारी तरह सोचने में अधिक समय बर्बाद नहीं करते। फटाफट नतीजे चाहते हैं इसीलिए अधीर बराक ओबामा तथा सुस्त तथा भटके हुए मनमोहन सिंह के बीच दोस्ती अधिक गहरी नहीं हो सकी। पर देशों के रिश्ते केवल व्यक्तिगत ‘कैमिस्ट्री’ पर ही आधारित नहीं होते। भारत और अमेरिका का राष्ट्रीय हित […]

मोदी की जिम्मेवारी

July 17, 2013 Chander Mohan 3

मोदी की जिम्मेवारी नरेंद्र मोदी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। क्योंकि वे किसी का लिखा भाषण नहीं पढ़ते इसलिए भी अपनी बात ठोक कर कहते हैं। जिससे कई बार बहस शुरू हो जाती है। हाथ से काम किया हुआ है इसलिए सब जानते भी हैं। कांग्रेस के बारे उनका कहना है कि जब -जब वह फंसती है सैक्यूलरिज़्म का बुर्का पहन लेती है। बात सही है। अगला चुनाव जो महंगाई, भ्रष्टाचार, प्रशासकीय अक्षमता, गिरते रुपए आदि पर लड़ा जाना चाहिए कांग्रेस उसका रुख धर्मनिरपेक्षता-सांप्रदायिकता की बहस की तरफ मोड़ना चाहती है। इसीलिए इशरत जहां मुठभेड़ का मामला भी उठाया जा रहा है। देश में पिछले 5 वर्षों में 191 मुठभेड़