Maut ke saudagar

मौत के सौदागर

प्रधानमंत्री मोदी ने सिगरेट के पैकेट के 60 प्रतिशत हिस्से पर चेतावनी छापने का निर्देश दिया है। इस वक्त 40 प्रतिशत हिस्से पर यह चेतावनी है। पहले भारत सरकार इसे 85 प्रतिशत हिस्से तक करना चाहती थी जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी प्रशंसा भी हुई लेकिन तम्बाकू लॉबी के दबाव में 60 प्रतिशत हिस्से पर ही चेतावनी छापने पर समझौता कर लिया गया लगता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना जाता है कि सिगरेट तथा तम्बाकू कैंसर पैदा करते हैं लेकिन तीन भाजपा सांसदों का कहना था कि भारत में सिगरेट तथा कैंसर के सीधे सम्बन्ध का कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ। अफसोस की बात है कि भाजपा में ऐसे सांसद भरे हुए हैं जो ऊटपटांग बयान देने में माहिर हैं जिस कारण कई बार सरकार को शर्मिन्दा होना पड़ता है। एक तरफ सरकार का स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है कि तम्बाकू तथा सिगरेट कैंसर पैदा करते हैं। बड़े बड़े विज्ञापन निकाले जाते हैं, सिनेमा में फिल्में चलाई जाती हैं पर यहां भाजपा के अपने सांसद कह रहे हैं कि कोई प्रमाण नहीं है कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है। भाजपा के सांसद राम प्रसाद शर्मा का कहना है कि ‘मैं ऐसे बुजुर्ग को जानता हूं जो रोजाना 60 सिगरेट पीते थे। शराब भी पीते थे पर स्वस्थ रहे और 86 साल की उम्र में मौत हुई। एक और को जानता हूं जो अभी भी रोजाना 40 सिगरेट पीते हैं पर स्वस्थ हैं, कोई कैंसर नहीं हुआ।’ यह एक सांसद का बयान है या सिगरेट पीने का विज्ञापन? राम प्रसाद शर्मा से पहले दिलीप गांधी तथा श्याम चरण गुप्ता, दोनों भाजपा सांसद, भी तम्बाकू के इस्तेमाल का समर्थन कर चुके हैं। दुख की बात तो यह है कि यह दोनों तम्बाकू के इस्तेमाल को रोके जाने के लिए बनाई संसदीय समिति के सदस्य हैं, दिलीप गांधी तो उसके अध्यक्ष हैं। ऐसे लोग खाक तम्बाकू के सेवन को रोकेंगे जो खुद कह रहे हैं कि इससे कोई खतरा नहीं है।
श्याम चरण गुप्ता ‘बीड़ी बैरन’ के नाम से जाने जाते हैं अर्थात् बहुत बड़ा बीड़ी का व्यापार है। उनका अपना आर्थिक हित इस बात से जुड़ा हुआ है कि तम्बाकू के सेवन पर कोई पाबंदी न लगाई जाए। उनका बचकाना तर्क यह भी है कि चीनी से डायबटीज़ होती है तो क्या इस पर भी रोक लगा दी जाए? राम प्रसाद शर्मा का कहना है कि तम्बाकू में हर्बल मेडिसिन अर्थात् जड़ी बूटियों की दवाई के गुण हैं। दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि भारत में हर साल 10 लाख लोगों की तम्बाकू से सम्बन्धित बीमारियों से मौत होती है। शरद पवार ने बताया है कि ‘मैं गुटखा खाता था इसलिए मुंह का कैंसर हो गया।’ केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि ‘मैं ईएनटी सर्जन के तौर पर यह कह सकता हूं कि तम्बाकू ने मौत के सिवाय कुछ नहीं दिया।’ सच्चाई यह भी है कि सिगरेट या तम्बाकू इंसान को अंदर से खोखला कर देते हैं जिससे वह झट बीमारी का शिकार हो जाता है या उसे कैंसर हो जाता है। सिगरेट का धुआं भी घातक होता है जिस कारण आसपास के लोग, विशेष तौर पर परिवार वाले, फेफड़े की बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। मेरे एक परिचित से यही हुआ। दिन के 40-50 सिगरेट पीने से वह अंदर से खोखले हो गए थे। रंग स्वाह काला हो गया था। बीमारी से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो गई थी। पहले बड़े झटके से उसकी मौत हो गई थी। उनकी पत्नी भी अब लगातार एंटी बॉयटिक पर रहती हैं। हो सकता है कि कोई एक व्यक्ति रोज के 60 सिगरेट पीने पर भी स्वस्थ रहा हो लेकिन ऐसे अपवाद हैं। महाराष्ट्र के मंत्री आर.आर. पाटिल की मौत अधिक सिगरेट पीने से हुई थी। तीन महीने कैंसर से लडऩे के बाद उनकी मौत हो गई। लगभग हर प्रदेश सरकार ने सिगरेट पीने या सार्वजनिक जगह पर पीने पर रोक लगाई हुई है। एक और भाजपा सांसद वीरेन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि ‘सबको कैंसर होता है यह सही नहीं। हमें बीड़ी मजदूरों का भी ध्यान रखना चाहिए।’ यह बात सही है कि कईयों को सिगरेट पीने के बावजूद कैंसर नहीं होता पर इन्हें अपवाद समझना चाहिए। जिन्हें नहीं हुआ उनकी मिसाल देकर क्या हमने बाकियों को मौत के मुंह में धकेलना है? कैंसर का तो इलाज भी बहुत महंगा है कोई गरीब फंस जाए तो उसके लिए तो बचने का रास्ता ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट भी रोक को जायज़ करार दे चुका है लेकिन कई सांसद हैं जिन्हें तबाह होती जिंदगियों की चिंता नहीं, उन्हें तो 10,000 करोड़ के तम्बाकू व्यापार की चिंता है। इन्हें सही तौर पर मौत के सौदागर कहा जा सकता है। इस देश में तम्बाकू लॉबी ताकतवर है। चेतावनी छापने से सिगरेट पीने वाले पर कितना असर होगा, कहना कठिन है लेकिन सरकार की तो जिम्मेवारी है कि लोगों को सावधान करे कि यह घातक हो सकता है तथा उन्हें सिगरेट पीने की लत छोडऩे के लिए प्रोत्साहित करे। कैंसर केवल सिगरेट पीने से ही नहीं होता, इसके कई और कारण भी हैं लेकिन हमारा फर्ज बनता है कि जिन कारणों के बारे हमें स्पष्ट जानकारी है उन्हें हम हटा दें। यह मामला कारोबार का नहीं, यह मामला रोजगार का भी नहीं, यह मामला जिंदगियां बचाने का है।

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About Chander Mohan 736 Articles
Chander Mohan is the grandson of the legendary editor of Pratap, Mahashya Krishan. He is the son of the famous freedom fighter and editor, Virendra. He is the Chief Editor of ‘Vir Pratap’ which is the oldest hindi newspaper of north west india. His editorial inputs on national, international, regional and local issues are widely read.